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“तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं”प्रहरीदुर्ग—1996 | मार्च 1
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११, १२. (क) सपन्याह की भविष्यवाणी का कौन-सा अन्य भाग शेषवर्ग पर पूरा हुआ है? (ख) किस प्रकार अभिषिक्त शेषवर्ग ने इस पुकार को सुना है, “तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं”?
११ वफ़ादार शेषवर्ग १९१९ में, झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य, बड़े बाबुल की आध्यात्मिक बंधुवाई से छुटकारा पाए जाने पर आनन्द मनाता है। उसने सपन्याह की भविष्यवाणी की पूर्ति का अनुभव किया है: “हे सिय्योन, ऊंचे स्वर से गा; हे इस्राएल, जयजयकार कर! हे यरूशलेम अपने सम्पूर्ण मन से आनन्द कर, और प्रसन्न हो! यहोवा ने तेरा दण्ड दूर कर दिया और तेरा शत्रु भी दूर किया गया है। इस्राएल का राजा यहोवा तेरे बीच में है, इसलिये तू फिर विपत्ति न भोगेगी। उस समय यरूशलेम से यह कहा जाएगा, हे सिय्योन मत डर, तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं। तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में है, वह उद्धार करने में पराक्रमी है।”—सपन्याह ३:१४-१७.
१२ इस बात के विश्वास और अनेक प्रमाणों के साथ कि यहोवा उनके बीच में है, अभिषिक्त शेषवर्ग अपनी ईश्वरीय नियुक्ति को पूरा करने में निडरतापूर्वक आगे बढ़ता गया है। उसने राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया है और मसीहीजगत, बड़े बाबुल के शेषभाग, और शैतान की संपूर्ण दुष्ट रीति-व्यवस्था के विरुद्ध यहोवा के न्यायदण्ड की घोषणा की है। सभी कठिनाइयों के बावजूद, १९१९ से लेकर अनेक दशकों के दौरान, उसने ईश्वरीय आज्ञा का पालन किया है: “हे सिय्योन मत डर, तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं।” उसने यहोवा के राज्य की घोषणा करनेवाले अरबों ट्रैक्ट, पत्रिकाओं, पुस्तकों और पुस्तिकाओं को वितरित करने में अपने हाथों को ढीला नहीं पड़ने दिया है। वह अन्य भेड़ों के लिए एक विश्वासोत्पादक उदाहरण रहा है, जो १९३५ से उसके पक्ष में इकट्ठी हुई हैं।
‘तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं’
१३, १४. (क) क्यों कुछ यहूदियों ने यहोवा का अनुसरण करना छोड़ दिया, और यह कैसे प्रकट हुआ? (ख) क्या करना हमारे लिए मूर्खता होगी, और किस कार्य में हमें अपने हाथों को ढीले नहीं पड़ने देना चाहिए?
१३ जबकि हम यहोवा के भयानक दिन की ‘बाट जोहते रहते हैं,’ हम सपन्याह की भविष्यवाणी से व्यावहारिक सहायता कैसे पा सकते हैं? सबसे पहले, हम सपन्याह के दिनों के उन यहूदियों की तरह बनने से सावधान रहेंगे जिन्होंने यहोवा का अनुसरण करना छोड़ दिया था, क्योंकि वे यहोवा के दिन की निकटता के बारे में संदेह करने लगे थे। ज़रूरी नहीं कि ऐसे यहूदियों ने सार्वजनिक रूप से अपने संदेह व्यक्त किए, लेकिन उनके कार्यों ने यह प्रकट किया कि वे वास्तव में यह विश्वास नहीं करते थे कि यहोवा का भयानक दिन निकट था। उन्होंने यहोवा की बाट जोहते रहने के बजाय धन बटोरने पर ध्यान लगाया।—सपन्याह १:१२, १३; ३:८.
१४ आज संदेह को अपने हृदय में जड़ पकड़ने देने का समय नहीं है। यहोवा के दिन के आने को अपने मन अथवा हृदय में ताक़ पर रख देना बड़ी मूर्खता होगी। (२ पतरस ३:१-४, १०) हमें यहोवा के पीछे चलने से लौट जाने अथवा उसकी सेवा में ‘अपने हाथ ढीले पड़ने देने’ से दूर रहना चाहिए। इसमें हमारे “सुसमाचार” प्रचार करने के “काम में ढिलाई” न करना शामिल है।—नीतिवचन १०:४; मरकुस १३:१०.
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“तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं”प्रहरीदुर्ग—1996 | मार्च 1
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१६. मसीहीजगत के गिरजों के अनेक सदस्यों में कौन-सी मनोवृत्ति मौजूद है, लेकिन यहोवा हमें कौन-सा प्रोत्साहन देता है?
१६ उदासीनता पृथ्वी के अनेक भागों में, ख़ासकर ज़्यादा समृद्ध देशों में आज प्रचलित मनोवृत्ति है। यहाँ तक कि मसीहीजगत के गिरजों के सदस्य यह विश्वास ही नहीं करते कि यहोवा परमेश्वर हमारे दिनों में मानवी मामलों में हस्तक्षेप करेगा। वे उन तक हमारे राज्य सुसमाचार को पहुँचाने के प्रयास को या तो संदेहपूर्ण मुस्कराहट से अथवा “मुझे दिलचस्पी नहीं है!” के रूखे जवाब के साथ टाल देते हैं। इन हालातों में, गवाही कार्य में लगे रहना एक वास्तविक चुनौती हो सकता है। यह हमारे धीरज को परखता है। लेकिन सपन्याह की भविष्यवाणी के माध्यम से, यहोवा अपने वफ़ादार लोगों को यह कहकर शक्ति प्रदान करता है: “तेरे हाथ ढीले पड़ने न पाएं। तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में है, वह उद्धार करने में पराक्रमी है; वह तेरे कारण आनन्द से मगन होगा, वह अपने प्रेम के मारे चुपका रहेगा; फिर ऊंचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मगन होगा।”—सपन्याह ३:१६, १७.
१७. कौन-से उदाहरण पर अन्य भेड़ों के बीच नए जनों को चलना चाहिए, और कैसे?
१७ यहोवा के लोगों के आधुनिक-दिन इतिहास में यह सच है कि शेषवर्ग, साथ-ही-साथ अन्य भेड़ों के वृद्ध जनों ने इन अंतिम दिनों में एक भारी एकत्रीकरण का कार्य पूरा किया है। इन सभी वफ़ादार मसीहियों ने दशकों से धीरज दिखाया है। उन्होंने मसीहीजगत के अधिकांश लोगों की उदासीनता से स्वयं को निरुत्साहित नहीं होने दिया है। सो ऐसा हो कि अन्य भेड़ों में नए जन आध्यात्मिक मामलों के प्रति उस उदासीनता से, जो आज अनेक देशों में इतनी प्रचलित है, स्वयं को निराश न होने दें। ऐसा हो कि वे अपने “हाथ ढीले” अथवा धीमें न पड़ने दें। ऐसा हो कि वे प्रहरीदुर्ग, सजग होइए! और दूसरे उत्तम प्रकाशनों को पेश करने के लिए प्रत्येक अवसर का इस्तेमाल करें जो ख़ासकर भेड़-समान लोगों को यहोवा के दिन और उसके बाद आनेवाली आशिषों के बारे में सच्चाई को सीखने में मदद देने के लिए तैयार किए गए हैं।
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