वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • “तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं”
    प्रहरीदुर्ग—1996 | मार्च 1
    • १६. मसीहीजगत के गिरजों के अनेक सदस्यों में कौन-सी मनोवृत्ति मौजूद है, लेकिन यहोवा हमें कौन-सा प्रोत्साहन देता है?

      १६ उदासीनता पृथ्वी के अनेक भागों में, ख़ासकर ज़्यादा समृद्ध देशों में आज प्रचलित मनोवृत्ति है। यहाँ तक कि मसीहीजगत के गिरजों के सदस्य यह विश्‍वास ही नहीं करते कि यहोवा परमेश्‍वर हमारे दिनों में मानवी मामलों में हस्तक्षेप करेगा। वे उन तक हमारे राज्य सुसमाचार को पहुँचाने के प्रयास को या तो संदेहपूर्ण मुस्कराहट से अथवा “मुझे दिलचस्पी नहीं है!” के रूखे जवाब के साथ टाल देते हैं। इन हालातों में, गवाही कार्य में लगे रहना एक वास्तविक चुनौती हो सकता है। यह हमारे धीरज को परखता है। लेकिन सपन्याह की भविष्यवाणी के माध्यम से, यहोवा अपने वफ़ादार लोगों को यह कहकर शक्‍ति प्रदान करता है: “तेरे हाथ ढीले पड़ने न पाएं। तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरे बीच में है, वह उद्धार करने में पराक्रमी है; वह तेरे कारण आनन्द से मगन होगा, वह अपने प्रेम के मारे चुपका रहेगा; फिर ऊंचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मगन होगा।”—सपन्याह ३:१६, १७.

      १७. कौन-से उदाहरण पर अन्य भेड़ों के बीच नए जनों को चलना चाहिए, और कैसे?

      १७ यहोवा के लोगों के आधुनिक-दिन इतिहास में यह सच है कि शेषवर्ग, साथ-ही-साथ अन्य भेड़ों के वृद्ध जनों ने इन अंतिम दिनों में एक भारी एकत्रीकरण का कार्य पूरा किया है। इन सभी वफ़ादार मसीहियों ने दशकों से धीरज दिखाया है। उन्होंने मसीहीजगत के अधिकांश लोगों की उदासीनता से स्वयं को निरुत्साहित नहीं होने दिया है। सो ऐसा हो कि अन्य भेड़ों में नए जन आध्यात्मिक मामलों के प्रति उस उदासीनता से, जो आज अनेक देशों में इतनी प्रचलित है, स्वयं को निराश न होने दें। ऐसा हो कि वे अपने “हाथ ढीले” अथवा धीमें न पड़ने दें। ऐसा हो कि वे प्रहरीदुर्ग, सजग होइए! और दूसरे उत्तम प्रकाशनों को पेश करने के लिए प्रत्येक अवसर का इस्तेमाल करें जो ख़ासकर भेड़-समान लोगों को यहोवा के दिन और उसके बाद आनेवाली आशिषों के बारे में सच्चाई को सीखने में मदद देने के लिए तैयार किए गए हैं।

  • “तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं”
    प्रहरीदुर्ग—1996 | मार्च 1
    • १८, १९. (क) मत्ती २४:१३ और यशायाह ३५:३, ४ में धीरज धरने के बारे में हम क्या प्रोत्साहन पाते हैं? (ख) हम कैसे आशिष प्राप्त करेंगे यदि हम संयुक्‍त रूप से यहोवा की सेवा में आगे बढ़ते जाते हैं?

      १८ यीशु ने कहा: “जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।” (मत्ती २४:१३) सो जब हम यहोवा के भयानक दिन की बाट जोहते हैं, “ढीले हाथों” अथवा “थरथराते हुए घुटनों” की कोई आवश्‍यकता नहीं! (यशायाह ३५:३, ४) सपन्याह की भविष्यवाणी यहोवा के बारे में आश्‍वासित करते हुए कहती है: “वह उद्धार करने में पराक्रमी है।” (सपन्याह ३:१७) जी हाँ, यहोवा “बड़ी भीड़” को “बड़े क्लेश” के अंतिम चरण से बचा लेगा, जब वह अपने पुत्र को राजनैतिक राष्ट्रों के टुकड़े-टुकड़े करने की आज्ञा देगा, जिन्होंने लगातार उसके लोगों के विरुद्ध “बड़ाई मारी है।”—प्रकाशितवाक्य ७:९, १४; सपन्याह २:१०, ११; भजन २:७-९.

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें