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  • “तुम मेरी बाट जोहते रहो”
    प्रहरीदुर्ग—1996 | मार्च 1
    • १३. सपन्याह ने मोआब, अम्मोन और अश्‍शूर के ख़िलाफ़ कौन-सा न्याय संदेश घोषित किया?

      १३ अपने भविष्यवक्‍ता सपन्याह के माध्यम से, यहोवा ने उन जातियों के विरुद्ध भी अपना क्रोध प्रकट किया जिन्होंने उसके लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया था। उसने घोषित किया: “मोआब ने जो मेरी प्रजा की नामधराई और अम्मोनियों ने जो उसकी निन्दा करके उसके देश की सीमा पर चढ़ाई की, वह मेरे कानों तक पहुंची है। इस कारण इस्राएल के परमेश्‍वर, सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की शपथ, निश्‍चय मोआब सदोम के समान, और अम्मोनी अमोरा की नाईं बिच्छू पेड़ों के स्थान और नमक की खानियां हो जाएंगे, और सदैव उजड़े रहेंगे . . . वह अपना हाथ उत्तर दिशा की ओर बढ़ाकर अश्‍शूर को नाश करेगा, और नीनवे को उजाड़ कर जंगल के समान निर्जल कर देगा।”—सपन्याह २:८, ९ १३.

      १४. क्या प्रमाण है कि अन्य जातियों ने इस्राएलियों और उनके परमेश्‍वर, यहोवा के विरुद्ध “बड़ाई मारी”?

      १४ मोआब और अम्मोन इस्राएल के पुराने शत्रु थे। (न्यायियों ३:१२-१४ से तुलना कीजिए।) पैरिस के लूव्र म्यूज़ियम में, मोआबी शिला एक शिलालेख दिखाती है जिसमें मोआबी राजा मेशा का घमण्ड-भरा कथन है। वह अपने देवता कीमोश की सहायता से अनेक इस्राएली नगरों को ले लिए जाने के बारे में अहंकार से उल्लेख करता है। (२ राजा १:१) सपन्याह के समकालिक, यिर्मयाह ने इस्राएलियों के क्षेत्र गाद पर अम्मोनियों के अपने देवता मल्काम के नाम पर अधिकार करने के बारे में कहा। (यिर्मयाह ४९:१) और अश्‍शूर के सम्बन्ध में, सपन्याह के समय से लगभग एक शताब्दी पहले, राजा शल्मनेसेर पंचम ने सामरिया पर घेरा डाला और उसे ले लिया। (२ राजा १७:१-६) उसके कुछ समय बाद, राजा सन्हेरीब ने यहूदा पर आक्रमण कर, उसके अनेक गढ़वाले नगरों को ले लिया, और यहाँ तक कि यरूशलेम को धमकाया। (यशायाह ३६:१, २) अश्‍शूर के राजा के प्रवक्‍ता ने यरूशलेम के आत्मसमर्पण की माँग करते वक़्त वाक़ई यहोवा के विरुद्ध बड़ाई मारी थी।—यशायाह ३६:४-२०.

  • “तुम मेरी बाट जोहते रहो”
    प्रहरीदुर्ग—1996 | मार्च 1
    • १५. कैसे यहोवा जातियों के देवताओं को अपमानित करता जिन्होंने उसके लोगों के विरुद्ध बड़ाई मारी थी?

      १५ भजन ८३ कई देशों का ज़िक्र करता है, जिनमें मोआब, अम्मोन और अश्‍शूर शामिल हैं, जिन्होंने इस्राएल के विरुद्ध बड़ाई मारी थी, और शेख़ी बघारते हुए कहा था: “आओ, हम उनको ऐसा नाश करें कि राज्य [जाति, फुटनोट] भी मिट जाए; और इस्राएल का नाम आगे को स्मरण न रहे।” (भजन ८३:४) भविष्यवक्‍ता सपन्याह ने साहसपूर्वक घोषित किया कि इन सभी घमण्डी जातियों और उनके देवताओं को यहोवा द्वारा अपमानित किया जाता। “यह उनके गर्व का पलटा होगा, क्योंकि उन्हों ने सेनाओं के यहोवा की प्रजा की नामधराई की, और उस पर बड़ाई मारी है। यहोवा उनको डरावना दिखाई देगा, वह पृथ्वी भर के देवताओं को भूखों मार डालेगा, और अन्यजातियों के सब द्वीपों के निवासी अपने अपने स्थान से उसको दण्डवत्‌ करेंगे।”—सपन्याह २:१०, ११.

  • “तुम मेरी बाट जोहते रहो”
    प्रहरीदुर्ग—1996 | मार्च 1
    • १७. कब और कैसे सपन्याह के न्याय संदेश जातियों पर पूरे होने लगे?

      १७ जिन्होंने उस चेतावनी पर ध्यान दिया था वे आश्‍चर्यचकित नहीं हुए थे। अनेक लोग सपन्याह की भविष्यवाणी की पूर्ति देखने के लिए जीवित रहे। सा.यु.पू. ६३२ में, नीनवे बाबुलियों, मादियों और उत्तर से संयुक्‍त सेनाओं, संभवतः साइथियावासियों द्वारा लिया गया और नाश किया गया था। इतिहासकार विल ड्यूरॆन्ट वर्णन करता है: “नाबोपोलास्सर के नेतृत्व के अधीन बाबुलियों की सेना, साइएक्सारीज़ के नेतृत्व के अधीन मादियों की सेना के साथ और काउकासस के साइथियावासियों के एक झुण्ड के साथ मिल गयी, और अद्‌भुत सरलता और तेज़ी से उत्तर के किलों पर क़ब्ज़ा कर लिया . . . एक ही झटके में अश्‍शूर इतिहास से ग़ायब हो गया।” यह ठीक वैसा ही था जैसे सपन्याह ने भविष्यवाणी की थी।—सपन्याह २:१३-१५.

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