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  • “तुम मेरी बाट जोहते रहो”
    प्रहरीदुर्ग—1996 | मार्च 1
    • “तुम . . . बाट जोहते रहो”

      १६. (क) किन लोगों के लिए यहोवा के दिन का समीप आना आनन्द का कारण था, और क्यों? (ख) इस वफ़ादार शेषवर्ग के लिए कौन-सी उत्तेजक पुकार निकली?

      १६ जबकि आध्यात्मिक आलस्य, संदेहवाद, मूर्तिपूजा, भ्रष्टाचार और भौतिकवाद यहूदा और यरूशलेम के प्रधानों और अनेक निवासियों में प्रचलित था, प्रत्यक्षतः कुछ वफ़ादार यहूदियों ने सपन्याह की चेतावनी-भरी भविष्यवाणियों पर ध्यान दिया। वे यहूदा के हाकिमों, न्यायियों, और याजकों के घृणित कार्यों से दुःखी थे। सपन्याह की उद्‌घोषणाएँ इन वफ़ादार जनों के लिए सांत्वना का स्रोत थीं। संताप का कारण होने के बजाय, उनके लिए यहोवा के दिन का आना आनन्द का कारण था, क्योंकि यह ऐसे घृणित कार्यों का अंत लाता। इस वफ़ादार शेषवर्ग ने यहोवा की उत्तेजक पुकार को सुना था: “इस कारण यहोवा की यह वाणी है, कि जब तक मैं नाश करने को न उठूं, तब तक तुम मेरी बाट जोहते रहो। मैं ने यह ठाना है कि जाति-जाति के और राज्य-राज्य के लोगों को मैं इकट्ठा करूं, कि उन पर अपने क्रोध की आग पूरी रीति से भड़काऊं।”—सपन्याह ३:८.

      १७. कब और कैसे सपन्याह के न्याय संदेश जातियों पर पूरे होने लगे?

      १७ जिन्होंने उस चेतावनी पर ध्यान दिया था वे आश्‍चर्यचकित नहीं हुए थे। अनेक लोग सपन्याह की भविष्यवाणी की पूर्ति देखने के लिए जीवित रहे। सा.यु.पू. ६३२ में, नीनवे बाबुलियों, मादियों और उत्तर से संयुक्‍त सेनाओं, संभवतः साइथियावासियों द्वारा लिया गया और नाश किया गया था। इतिहासकार विल ड्यूरॆन्ट वर्णन करता है: “नाबोपोलास्सर के नेतृत्व के अधीन बाबुलियों की सेना, साइएक्सारीज़ के नेतृत्व के अधीन मादियों की सेना के साथ और काउकासस के साइथियावासियों के एक झुण्ड के साथ मिल गयी, और अद्‌भुत सरलता और तेज़ी से उत्तर के किलों पर क़ब्ज़ा कर लिया . . . एक ही झटके में अश्‍शूर इतिहास से ग़ायब हो गया।” यह ठीक वैसा ही था जैसे सपन्याह ने भविष्यवाणी की थी।—सपन्याह २:१३-१५.

      १८. (क) यरूशलेम पर कैसे ईश्‍वरीय न्यायदण्ड कार्यान्वित किया गया, और क्यों? (ख) मोआब और अम्मोन के बारे में सपन्याह की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

      १८ अनेक यहूदी जो यहोवा की बाट जोह रहे थे, वे यहूदा और यरूशलेम पर उसके न्यायदण्डों को देखने के लिए भी जीवित रहे। यरूशलेम के बारे में सपन्याह ने भविष्यवाणी की थी: “हाय बलवा करनेवाली और अशुद्ध और अन्धेर से भरी हुई नगरी! उस ने मेरी नहीं सुनी, उस ने ताड़ना से भी नहीं माना, उस ने यहोवा पर भरोसा नहीं रखा, वह अपने परमेश्‍वर के समीप नहीं आई।” (सपन्याह ३:१, २) अपनी बेवफ़ाई के कारण, यरूशलेम बाबुलियों द्वारा दो बार घेरा गया और अंत में सा.यु.पू ६०७ में ले लिया गया और नाश किया गया। (२ इतिहास ३६:५, ६, ११-२१) और मोआब और अम्मोन के विषय में, यहूदी इतिहासकार जोसीफ़स के अनुसार, यरूशलेम के पतन के पाँचवें साल में, बाबुलियों ने उनसे युद्ध किया और उन्हें जीत लिया। बाद में उनका अस्तित्व ही मिट गया, जैसी भविष्यवाणी की गई थी।

      १९, २०. (क) यहोवा ने उन लोगों को कैसे प्रतिफल दिया जो उसकी बाट जोहते रहे? (ख) इन घटनाओं का हमारे लिए महत्त्व क्यों है, और अगले लेख में किस बात पर विचार किया जाएगा?

      १९ सपन्याह की भविष्यवाणी के इन और अन्य विवरणों की पूर्ति, उन यहूदियों और ग़ैर-यहूदियों के लिए विश्‍वास मज़बूत करनेवाला एक अनुभव था जो यहोवा की बाट जोह रहे थे। यहूदा और यरूशलेम पर जो विनाश आया था उसमें बचने वालों में से यिर्मयाह, कूशी एबेदमेलेक, और योनादाब का घराना, अर्थात्‌ रेकाबी थे। (यिर्मयाह ३५:१८, १९; ३९:११, १२, १६-१८) निर्वासन में वफ़ादर यहूदी और उनकी संतान, जिन्होंने यहोवा की बाट जोहना जारी रखा था, उस आनन्दित शेषवर्ग का हिस्सा बने जो सा.यु.पू. ५३७ में बाबुल से रिहा हुआ था और सच्ची उपासना की पुनःस्थापना करने यहूदा लौटा।—एज्रा २:१; सपन्याह ३:१४, १५, २०.

  • “तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं”
    प्रहरीदुर्ग—1996 | मार्च 1
    • २. सपन्याह के दिनों की परिस्थितियों में और आज मसीहीजगत की आन्तरिक स्थिति में कौन-सी समानताएँ पाई जाती हैं?

      २ आज, यहोवा ने यह ठाना है कि सपन्याह के दिनों से बहुत बड़े पैमाने पर विनाश के लिए राष्ट्रों को इकट्ठा करे। (सपन्याह ३:८) वे राष्ट्र जो मसीही होने का दावा करते हैं परमेश्‍वर की दृष्टि में ख़ासकर निन्दनीय हैं। ठीक जैसे यरूशलेम ने यहोवा के प्रति अपनी बेवफ़ाई की भारी क़ीमत चुकाई, वैसे ही मसीहीजगत को अपने लुचपन के मार्गों का हिसाब परमेश्‍वर को देना पड़ेगा। सपन्याह के दिनों में यहूदा और यरूशलेम पर ईश्‍वरीय न्यायदण्ड की घोषणा गिरजों और मसीहीजगत के संप्रदायों पर और भी कड़ाई के साथ लागू होती है। उन्होंने शुद्ध उपासना को भी परमेश्‍वर का अनादर करनेवाले धर्मसिद्धान्तों द्वारा दूषित किया है, जिनमें से अनेक विधर्मी उद्‌गम के हैं। उन्होंने अपने लाखों तंदुरुस्त बेटों को आधुनिक युद्ध की वेदी पर बलि चढ़ाया है। इसके अलावा, प्रतिरूपी यरूशलेम के निवासी तथाकथित मसीहियत को ज्योतिषविद्या, प्रेतात्मवादी कार्यों, और घिनौनी लैंगिक अनैतिकता के साथ मिला देते हैं, जो बाल उपासना की याद दिलाता है।—सपन्याह १: ४, ५.

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