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  • यहोवा की घाटी में बने रहकर हिफाज़त पाइए
    प्रहरीदुर्ग—2013 | फरवरी 15
    • 8. (क) बाइबल में, पर्वत कभी-कभी किसे दर्शाते हैं? (ख) ‘जैतून का पर्वत’ किसे दर्शाता है?

      8 हमने देखा कि “वह नगर” यानी यरूशलेम शहर स्वर्गीय यरूशलेम को दर्शाता है, तो ‘जलपाई [या जैतून] का पर्वत जो यरुशलेम के सामने है,’ वह किसे दर्शाता है? कैसे वह ‘बीचोबीच से फट’ जाता है और उससे दो पर्वत हो जाते हैं? मूल इब्रानी भाषा में, इन पर्वतों को यहोवा “मेरे पर्वत” कहता है। ऐसा क्यों? (जकर्याह 14:3-5 पढ़िए।) बाइबल में, कभी-कभी पर्वत राज्य या सरकारों को दर्शाते हैं। साथ ही, अकसर बाइबल कहती है कि परमेश्‍वर के पर्वत से आशीषें और हिफाज़त मिलती है। (भज. 72:3; यशा. 25:6, 7) इसलिए जैतून का जो पर्वत यरूशलेम के पूरब में बताया गया है और जिस पर यहोवा खड़ा होता है, वह पूरे विश्‍व पर यहोवा की हुकूमत को दर्शाता है।

  • यहोवा की घाटी में बने रहकर हिफाज़त पाइए
    प्रहरीदुर्ग—2013 | फरवरी 15
    • घाटी की तरफ भागना शुरू!

      11, 12. (क) परमेश्‍वर के लोगों ने कब उसकी घाटी की तरफ भागना शुरू किया? (ख) क्या बात दिखाती है कि यहोवा का बलबंत हाथ उसके लोगों पर है?

      11 यीशु ने अपने चेलों को आगाह किया था: “तुम मेरे नाम की वजह से सब राष्ट्रों की नफरत का शिकार बनोगे।” (मत्ती 24:9) इस व्यवस्था के आखिरी दिनों में, सन्‌ 1914 से यह नफरत और भी बढ़ गयी है। प्रथम विश्‍व युद्ध के दौरान दुश्‍मनों ने बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों पर वहशियाना ज़ुल्म ढाए, मगर वे इन वफादार मसीहियों के समूह को मिटा न सके। सन्‌ 1919 में उन्हें महानगरी बैबिलोन यानी दुनिया-भर में साम्राज्य की तरह फैले झूठे धर्म के शिकंजे से आज़ाद किया गया। (प्रका. 11:11, 12)a यही वह वक्‍त था, जब यहोवा के लोगों ने घाटी की तरफ भागना शुरू किया।

      12 सन्‌ 1919 से परमेश्‍वर की घाटी में दुनिया के सभी सच्चे उपासकों को लगातार हिफाज़त मिल रही है। देखा जाए तो दशकों से दुनिया के कई हिस्सों में यहोवा के साक्षियों के प्रचार काम और उनके साहित्य पर पाबंदी या कुछ हद तक रोक लगायी गयी। और कुछ देशों में आज भी ऐसी रोक लगी हुई है। मगर राष्ट्र चाहे खून पसीना एक कर दें, वे सच्ची उपासाना मिटाने में हरगिज़ कामयाब नहीं होंगे। यहोवा का बलबंत हाथ हमेशा अपने लोगों पर रहेगा।—व्यव. 11:2.

      13. हम यहोवा की घाटी में हिफाज़त कैसे पा सकते हैं? आज इस घाटी में बने रहना पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी क्यों है?

      13 अगर हम यहोवा से लिपटे रहें और सच्चाई में मज़बूती से खड़े रहें, तो वह और उसका बेटा ज़रूर हमारी हिफाज़ात करेंगे। परमेश्‍वर कभी किसी ताकत या इंसान को यह मौका नहीं देगा कि वह ‘हमें उसके हाथ से छीन ले।’ (यूह. 10:28, 29) यहोवा हमें हर तरह की मदद देने के लिए तैयार है ताकि हम सारे जहान के महाराजा और मालिक के नाते उसकी आज्ञा मान सकें और मसीह के राज की वफादार प्रजा बने रहें। बहुत जल्द महा-संकट आनेवाला है और उस दौरान हमें यहोवा की मदद की और भी ज़रूरत होगी, इसलिए आज पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है कि हम उसकी घाटी में बने रहें।

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