-
जकरयाह के दर्शनों से आप क्या सीखते हैं?प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2017 | अक्टूबर
-
-
16. (क) दर्शन में टोकरी का क्या होता है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर 3 देखिए।) (ख) औरतें उस टोकरी को कहाँ ले जाती हैं?
16 इसके बाद, जकरयाह दो औरतों को देखता है जिनके पंख, लगलग पक्षी जैसे मज़बूत हैं। (जकरयाह 5:9-11 पढ़िए।) ये औरतें उस औरत से बिलकुल अलग हैं जो “दुष्टता की निशानी है।” फिर वे तेज़ी से उड़ती हुई आती हैं और उस टोकरी को उठा ले जाती हैं जिसके अंदर वह औरत बैठी है। वे टोकरी को कहाँ ले जाती हैं? “शिनार देश” यानी बैबिलोन। क्यों?
17, 18. (क) टोकरी को बैबिलोन ले जाना क्यों सही था? (ख) आपने क्या करने की ठानी है?
17 जकरयाह के दिनों के इसराएली समझ गए होंगे कि टोकरी को बैबिलोन ले जाना क्यों सही था। वे जानते थे कि बैबिलोन एक दुष्ट शहर था जहाँ चारों तरफ बदचलनी और झूठी उपासना फैली हुई थी। जकरयाह और वहाँ रहनेवाले यहूदियों के लिए ऐसे माहौल में रहना आसान नहीं था। उन्हें हर दिन झूठी उपासना के बुरे असर से लड़ना पड़ता था। इस दर्शन के ज़रिए यहोवा वादा करता है कि वह अपनी उपासना को शुद्ध रखेगा।
18 इस दर्शन ने यहूदियों को यह एहसास दिलाया कि उनका भी फर्ज़ है कि वे यहोवा की उपासना को शुद्ध बनाए रखें। उन्हें किसी भी तरह की बुराई बरदाश्त नहीं करनी चाहिए। आज यहोवा ने हमें भी उसके शुद्ध संगठन का एक हिस्सा बनाया है, जहाँ हमें उसका प्यार और हिफाज़त मिलती है। इस संगठन को शुद्ध बनाए रखना हम सबकी ज़िम्मेदारी है। इसलिए हमारे बीच किसी भी तरह की बुराई के लिए कोई जगह नहीं।
-