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  • अधिक शिक्षण से आशीर्वाद-प्राप्त
    प्रहरीदुर्ग—1990 | फरवरी 1
    • उसके बाद यीशु अपने जिज्ञासु चेलों को तीन और दृष्टान्त देकर आशीर्वाद-प्राप्त करता है। पहले, वह कहता है: “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाकर छिपा दिया, और मारे आनन्द के जाकर और अपना सब कुछ बेचकर उस खेत को मोल लिया।”

  • अधिक शिक्षण से आशीर्वाद-प्राप्त
    प्रहरीदुर्ग—1990 | फरवरी 1
    • खुद यीशु उस आदमी के जैसे है जिसे छिपा हुआ धन मिला और उस व्यापारी के जैसे है जिसे बहुमूल्य मोती मिलता है। स्वर्ग में एक सम्मानीय पद त्यागकर, एक अवर मानव बनने के लिए उसने मानो सब कुछ बेच डाला। फिर, पृथ्वी पर एक आदमी के रूप में, वह निन्दा और घृणित उत्पीड़न सहकर परमेश्‍वर के राज्य का शासक बनने के क़ाबिल साबित होता है।

      यीशु के अनुगामियों के सामने भी चुनौती रखी गयी है कि वे या तो मसीह के साथ सह-शासक बनने या राज्य की पार्थीव प्रजा बनने का शानदार प्रतिफल हासिल करने के उद्देश्‍य से सब कुछ बेच डाले। क्या हम परमेश्‍वर के राज्य में हिस्सा लेना ज़िन्दगी में बाक़ी किसी भी चीज़ से ज़्यादा मूल्यवान, अमूल्य धन के समान या बहुमूल्य मोती के समान, समझेंगे?

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