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शान्ति के शासक के आने का वादायशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
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15, 16. (क) किन “बाद के दिनों” में “जबूलून और नप्ताली के देशों” की हालत बदल जाएगी? (ख) जिस देश का अपमान किया गया उसे महिमान्वित कैसे किया गया?
15 इस सवाल का जवाब हमें प्रेरित मत्ती देता है। उसने परमेश्वर की प्रेरणा पाकर, यीशु की सेवकाई का रिकॉर्ड लिखा और यह बताते हुए कि इस सेवकाई की शुरूआत कैसी थी, उसने कहा: “[यीशु] नासरत को छोड़कर कफरनहूम में जो झील के किनारे जबूलून और नपताली के देश में है जाकर रहने लगा। ताकि जो यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो। कि जबूलून और नपताली के देश, झील के मार्ग से यरदन के पार अन्यजातियों का गलील। जो लोग अन्धकार में बैठे थे उन्हों ने बड़ी ज्योति देखी; और जो मृत्यु के देश और छाया में बैठे थे, उन पर ज्योति चमकी।”—मत्ती 4:13-16.
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शान्ति के शासक के आने का वादायशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
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“बड़ी ज्योति”
17. गलील में “बड़ी ज्योति” कैसे चमकी?
17 लेकिन, मत्ती ने गलील में जिस “बड़ी ज्योति” का ज़िक्र किया उसके बारे में क्या कहा जा सकता है? यह भी यशायाह की भविष्यवाणी का ही हवाला था। यशायाह ने लिखा: “जो लोग अन्धियारे में चल रहे थे उन्हों ने बड़ा उजियाला देखा; और जो लोग घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी।” (यशायाह 9:2) पहली सदी तक, झूठे धर्म की शिक्षाओं की वजह से सच्चाई की ज्योति छिपी हुई थी। और-तो-और, यहूदी धर्मगुरुओं ने इस मुश्किल को और भी बढ़ा दिया, क्योंकि वे अपनी धार्मिक परंपराओं से बुरी तरह चिपके रहे जिनसे उन्होंने “परमेश्वर के वचन को व्यर्थ कर दिया” था। (मत्ती 15:6, NHT) जो दीन थे उन्हें सताया जा रहा था, उन्हें समझ नहीं आता था कि वे कहाँ जाएँ, इसलिए वे इन ‘अन्धे अगुवों’ की बतायी राह पर चलते थे। (मत्ती 23:2-4,16) मगर जब मसीहा यानी यीशु प्रकट हुआ, तो बहुत से दीन जनों की आँखें अद्भुत तरीके से खुल गयीं। (यूहन्ना 1:9,12) यीशु ने इस धरती पर जो काम किए और उसके बलिदान से जो आशीषें मिलीं, उन्हें यशायाह की भविष्यवाणी में सही मायनों में “बड़ा उजियाला” या ज्योति कहा गया है।—यूहन्ना 8:12.
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