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यहोवा की आवाज़ सुनिए!प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2019 | मार्च
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“इसकी सुनो”
7. मत्ती 17:1-5 के मुताबिक किस मौके पर स्वर्ग से यहोवा की आवाज़ सुनायी दी और उसने क्या कहा?
7 मत्ती 17:1-5 पढ़िए। दूसरे मौके पर स्वर्ग से यहोवा की आवाज़ तब सुनायी दी, जब यीशु का “रूप बदल गया” था। यीशु पतरस, याकूब और यूहन्ना को लेकर एक ऊँचे पहाड़ पर गया हुआ था। वहाँ उन्होंने एक लाजवाब दर्शन देखा। यीशु का चेहरा दमक उठा और उसके कपड़े रौशनी की तरह चमकने लगे। प्रेषितों को दो आदमी दिखायी दिए, जो मूसा और एलियाह की तरह लग रहे थे। वे यीशु से उसकी मौत और दोबारा ज़िंदा किए जाने के बारे में बातें करने लगे। हालाँकि तीनों प्रेषित “नींद से बोझिल थे,” लेकिन उन्होंने यह अनोखा दर्शन तब देखा, जब वे पूरी तरह जागे हुए थे। (लूका 9:29-32) इसके बाद एक उजला बादल उन पर छा गया और उस बादल में से एक आवाज़ आयी। यह परमेश्वर की आवाज़ थी! जैसे यहोवा ने यीशु के बपतिस्मे के वक्त किया था, वैसे ही उसने इस मौके पर भी ज़ाहिर किया कि वह अपने बेटे से प्यार करता है और उससे खुश है। उसने कहा, “यह मेरा प्यारा बेटा है जिसे मैंने मंज़ूर किया है।” लेकिन इस बार उसने यह भी कहा, “इसकी सुनो।”
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यहोवा की आवाज़ सुनिए!प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2019 | मार्च
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9. यीशु ने अपने चेलों को कौन-सी फायदेमंद सलाह दी?
9 “इसकी सुनो।” यहोवा ने साफ-साफ बताया कि हम उसके बेटे की सुनें और उसकी आज्ञा मानें। जब यीशु धरती पर था, तो उसने ऐसी बहुत-सी बातें बतायीं, जो गौर करने लायक हैं। जैसे, उसने अपने चेलों को प्यार से सिखाया कि उन्हें खुशखबरी किस तरह सुनानी चाहिए और उसने बार-बार उन्हें जागते रहने के लिए कहा। (मत्ती 24:42; 28:19, 20) उसने उन्हें यह भी बढ़ावा दिया कि वे जी-तोड़ संघर्ष करें और कभी हिम्मत न हारें। (लूका 13:24) यीशु ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि चेलों को एक-दूसरे से प्यार करना है, उन्हें एक होकर रहना है और उसकी आज्ञाएँ माननी हैं। (यूह. 15:10, 12, 13) सच में, यीशु ने अलग-अलग मामलों में कितनी बेहतरीन सलाह दी! उसकी सलाह आज भी उतनी ही फायदेमंद है, जितनी उस वक्त थी।
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