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एक चरवाहा, जिसे आपकी परवाह हैप्रहरीदुर्ग—2008 | अप्रैल 1
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एक चरवाहा अपनी भेड़ों की कितनी परवाह करता है, इस बारे में यीशु ने कहा, “यदि किसी मनुष्य की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक भटक जाए, तो क्या निन्नानवे को छोड़कर, और पहाड़ों पर जाकर, उस भटकी हुई को न ढूंढ़ेगा? और यदि ऐसा हो कि उसे पाए, तो मैं तुम से सच कहता हूं, कि वह उन निन्नानवे भेड़ों के लिये जो भटकी नहीं थीं इतना आनन्द नहीं करेगा, जितना कि इस भेड़ के लिये करेगा। ऐसा ही तुम्हारे पिता की जो स्वर्ग में है यह इच्छा नहीं, कि इन छोटों में से एक भी नाश हो।” (मत्ती 18:12-14) आइए देखें कि यीशु ने इस उदाहरण के ज़रिए कैसे समझाया कि यहोवा को उसकी भक्ति करनेवाले हर इंसान की गहरी परवाह है।
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एक चरवाहा, जिसे आपकी परवाह हैप्रहरीदुर्ग—2008 | अप्रैल 1
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इस उदाहरण को समझाते हुए यीशु ने कहा कि परमेश्वर नहीं चाहता कि “इन छोटों में से एक भी नाश हो।” यहाँ ‘छोटे’ उन लोगों को कहा गया है, जिन्हें दुनिया कमतर या बहुत मामूली समझती है। इससे पहले, यीशु ने अपने चेलों को आगाह किया था कि वे “इन छोटों में से जो [उस] पर विश्वास करते हैं” ठोकर न खिलाएँ। यानी वे ऐसा कोई काम न करें, जिससे ये लोग यहोवा की भक्ति करना छोड़ दें। (मत्ती 18:6) यीशु के उदाहरण से हम यहोवा के बारे में क्या सीखते हैं? यही कि यहोवा एक ऐसा चरवाहा है, जिसे अपनी हरेक भेड़ की गहरी परवाह है। उन भेड़ों की भी, जिन्हें ‘छोटा’ कहा गया है। वाकई परमेश्वर की नज़र में उसकी भक्ति करनेवाला हर इंसान अनूठा है और वह उसे अनमोल समझता है।
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