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  • आप शायद अपने भाई को पा लें
    प्रहरीदुर्ग—1999 | अक्टूबर 15
    • ५, ६. आस-पास की आयतों के मुताबिक मत्ती १८:१५ में किस तरह के पाप का ज़िक्र किया गया है और यह हम कैसे जान सकते हैं?

      ५ असल में देखा जाए तो यीशु की सलाह बहुत ही नाज़ुक मामलों के बारे में है। यीशु ने कहा: “यदि तेरा भाई तेरा अपराध करे।” मोटे तौर पर देखा जाए तो, किसी भी गलती को “अपराध” या पाप कहा जा सकता है, चाहे वह छोटी हो या बड़ी। (अय्यूब २:१०; नीतिवचन २१:४; याकूब ४:१७) लेकिन आस-पास की आयतें दिखाती हैं कि जिस पाप के बारे में यीशु बता रहा था वह बहुत ही बड़ा रहा होगा। इतना बड़ा कि अपराधी अगर पछतावा न दिखाए तो उसे ‘अन्यजाति का और महसूल लेनेवाला’ कहा जा सकता था। इसका क्या मतलब है?

      ६ यीशु के ये शब्द सुननेवाले उसके चेले जानते थे कि उनकी जाति के लोग यानी यहूदी, गैर-यहूदियों के साथ मेल-जोल नहीं रखते थे। (यूहन्‍ना ४:९; १८:२८; प्रेरितों १०:२८) और वे महसूल लेनेवालों से खुद को दूर रखते थे क्योंकि महसूल लेनेवाले यहूदी होने के बावजूद, अपनी ही जाति के लोगों के साथ बुरा सलूक करते थे। इसलिए हम कह सकते हैं कि मत्ती १८:१५-१७ में जिन पापों का ज़िक्र किया गया है, वे काफी बड़े रहे होंगे, सिर्फ छोटी-मोटी नाराज़गियाँ नहीं जिन्हें आप माफी देकर भूल सकें।—मत्ती १८:२१, २२.a

  • आप शायद अपने भाई को पा लें
    प्रहरीदुर्ग—1999 | अक्टूबर 15
    • a मैक्लिंटॉक और स्ट्रांग की साइक्लोपीडिया कहती है: “नये नियम में बताए गए सरकारी मुलाज़िम [महसूल लेनेवाले] देशद्रोही और धर्मत्यागी समझे जाते थे। गैर-यहूदियों के साथ उनके मेल-जोल रहने की वज़ह से वे भ्रष्ट हो चुके थे और ज़ुल्म ढानेवाले के हाथों की कठपुतलियाँ थे। उन्हें पापी समझा जाता था . . . ऐसे लोगों के साथ कोई भी इज़्ज़तदार आदमी दोस्ती नहीं रखता था, इसलिए उनके दोस्त या साथी भी वही होते थे जो उनकी तरह समाज के ठुकराए हुए थे।”

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