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राजा अपने लोगों को उपासना के मामले में शुद्ध करता हैपरमेश्वर का राज हुकूमत कर रहा है!
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1-3. जब यीशु ने देखा कि मंदिर को दूषित किया जा रहा है तो उसने क्या किया?
यीशु को यरूशलेम के मंदिर के लिए गहरा आदर था, क्योंकि वह जानता था कि वह मंदिर लंबे समय से धरती पर सच्ची उपासना की खास जगह रहा है। वहाँ पवित्र परमेश्वर यहोवा की उपासना की जाती थी, इसलिए यह ज़रूरी था कि वह उपासना हर हाल में शुद्ध और पवित्र हो। तो सोचिए, ईसवी सन् 33 के नीसान 10 को जब यीशु मंदिर गया और उसने देखा कि उसे दूषित किया जा रहा है तो उसे कैसा लगा होगा! आखिर वहाँ क्या हो रहा था?—मत्ती 21:12, 13 पढ़िए।
2 गैर-यहूदियों के आँगन में लालची व्यापारी और पैसा बदलनेवाले सौदागर उन लोगों का फायदा उठा रहे थे जो यहोवा के लिए भेंट चढ़ाने आए थे।a तब यीशु ने ‘उन सब लोगों को खदेड़ दिया जो मंदिर के अंदर बिक्री और खरीदारी कर रहे थे और उसने पैसा बदलनेवाले सौदागरों की मेज़ें उलट दीं।’ (नहेमायाह 13:7-9 से तुलना करें।) उसने उन स्वार्थी लोगों को फटकारा क्योंकि उन्होंने उसके पिता के भवन को “लुटेरों का अड्डा” बना दिया था। इस तरह यीशु ने उस मंदिर के लिए और उस परमेश्वर के लिए आदर दिखाया जिसकी उपासना वहाँ की जा रही थी। उसके पिता की उपासना को शुद्ध बनाए रखना ज़रूरी था!
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राजा अपने लोगों को उपासना के मामले में शुद्ध करता हैपरमेश्वर का राज हुकूमत कर रहा है!
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a दूसरी जगहों से यरूशलेम आनेवाले यहूदियों को मंदिर का सालाना कर चुकाने के लिए एक खास किस्म का सिक्का देना होता था, साथ ही भेंट के लिए जानवर खरीदने पड़ते थे। पैसा बदलनेवाले सौदागर उन यहूदियों से अपने सिक्के बदलने के लिए फीस लेते थे और व्यापारी ऊँचे दाम पर जानवर बेचते थे। शायद इसी वजह से यीशु ने उन्हें ‘लुटेरे’ कहा।
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