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  • अंगूरों के बाग की दो मिसालें
    यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
    • फिर यीशु एक और मिसाल बताता है जिससे पता चलता है कि धर्म गुरु कितने दुष्ट हैं। “किसी आदमी ने अंगूरों का बाग लगाया और उसके चारों तरफ एक बाड़ा बाँधा। उसने अंगूर रौंदने का हौद खोदा और एक मीनार खड़ी की। फिर उसे बागबानों को ठेके पर देकर परदेस चला गया। कटाई का मौसम आने पर उसने एक दास को बागबानों के पास भेजा ताकि वह अंगूरों की फसल में से उसका हिस्सा ले आए। मगर बागबानों ने उस दास को पकड़ लिया, उसे पीटा और खाली हाथ भेज दिया। फिर बाग के मालिक ने उनके पास एक और दास को भेजा। बागबानों ने उसका सिर फोड़ दिया और उसे बेइज़्ज़त किया। फिर मालिक ने एक और दास को भेजा और उन्होंने उसे मार डाला। मालिक ने और भी बहुतों को भेजा, मगर कुछ को उन्होंने पीटा तो कुछ को मार डाला।”​—मरकुस 12:1-5.

      यीशु की बातें सुननेवालों को यशायाह के शब्द याद आए होंगे। “मैं सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा हूँ और इसराएल मेरे अंगूरों का बाग है। यहूदा के आदमी इसकी बेल हैं जिनसे मुझे खास लगाव था। मैंने उनसे न्याय की उम्मीद की थी, मगर चारों तरफ अन्याय का बोलबाला है।” (यशायाह 5:7) यीशु की मिसाल इन्हीं बातों से मिलती-जुलती है। बाग का मालिक यहोवा है और बाग इसराएल राष्ट्र है। उसके चारों तरफ का बाड़ा परमेश्‍वर का कानून है, क्योंकि इस कानून को मानने की वजह से इसराएली सुरक्षित थे। जैसे बाग के मालिक ने दासों को भेजा था, वैसे ही यहोवा ने भविष्यवक्‍ताओं को अपने लोगों के पास भेजा था ताकि वे उन्हें अच्छे फल पैदा करना सिखाएँ।

  • अंगूरों के बाग की दो मिसालें
    यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
    • धर्म गुरुओं ने अनजाने में अपने ही मुँह से कह दिया कि उन्हें कैसी सज़ा मिलनेवाली है। वे भी यहोवा के बाग यानी इसराएल राष्ट्र के बागबान हैं और यहोवा उम्मीद करता है कि वे अच्छे फल पैदा करें। एक फल यह है कि वे उसके बेटे यानी मसीह पर विश्‍वास करें। लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं, इसलिए यीशु उनसे कहता है, “क्या तुमने शास्त्र में यह बात कभी नहीं पढ़ी, ‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने ठुकरा दिया, वही कोने का मुख्य पत्थर बन गया है’? क्या तुमने यह भी नहीं पढ़ा, ‘यह यहोवा की तरफ से हुआ है और हमारी नज़र में लाजवाब है’?” (मरकुस 12:10, 11) इसके बाद यीशु धर्म गुरुओं से मुद्दे की बात कहता है, “परमेश्‍वर का राज तुमसे ले लिया जाएगा और एक ऐसे राष्ट्र को दे दिया जाएगा, जो राज के योग्य फल पैदा करता है।”​—मत्ती 21:43.

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