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  • खुशी के लिए असल में क्या ज़रूरी है?
    प्रहरीदुर्ग—2004 | सितंबर 1
    • मगर हम शायद सोचें कि जो लोग धार्मिकता के भूखे-प्यासे हैं या जो शोक करते हैं, वे भला खुश कैसे रह सकते हैं? दरअसल, ऐसे लोग दुनिया की हालत को सही नज़रिए से देखते हैं। वे आज किए जानेवाले “सब घृणित कार्यों के लिए आहें भरते और कराहते हैं।” (यहेजकेल 9:4, NHT) मगर यही उनकी खुशी की वजह नहीं है। इसके बजाय, जब वे परमेश्‍वर के उद्देश्‍य के बारे में सीखते हैं कि वह धरती पर धार्मिकता का माहौल लाएगा और कुचले हुओं को इंसाफ दिलाएगा, तो उन्हें बेहद खुशी होती है।—यशायाह 11:4.

  • खुशी के लिए असल में क्या ज़रूरी है?
    प्रहरीदुर्ग—2004 | सितंबर 1
    • जो लोग शोक करते, धार्मिकता के भूखे-प्यासे होते और अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत होते हैं, उन्हें एहसास रहता है कि सिरजनहार के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। यह तो हम जानते हैं कि इंसानों के साथ अच्छा रिश्‍ता होने से हमें खुशी मिलती है। मगर उससे भी कहीं ज़्यादा खुशी हमें परमेश्‍वर के साथ अच्छा रिश्‍ता कायम रखने से मिलती है। जी हाँ, जो लोग सच्चे दिल से नेकी के रास्ते पर चलना चाहते हैं और परमेश्‍वर की सलाह मानने के लिए तैयार रहते हैं, उन्हें वाकई खुश लोग कहा जा सकता है।

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