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न्याय सिंहासन के सामने आपकी स्थिति क्या होगी?प्रहरीदुर्ग—1995 | अक्टूबर 15
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२०, २१. यीशु के प्रेरितों ने क्या पूछा जो हमारे समय से सम्बन्ध रखता है, और इससे क्या प्रश्न उठता है?
२० यीशु के मरने से कुछ ही समय पहले उसके प्रेरितों ने उससे पूछा: “ये बातें कब होंगी? और तेरे आने का, और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?” (मत्ती २४:३) ‘अन्त आने’ से पहले पृथ्वी पर होनेवाली महत्त्वपूर्ण घटनाओं के बारे में यीशु ने पूर्वबताया। उस अन्त के कुछ ही समय पहले, राष्ट्र “मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे।”—मत्ती २४:१४, २९, ३०.
२१ लेकिन, उन राष्ट्रों के लोगों का क्या हश्र होगा जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आता है? आइए भेड़ों और बकरियों की नीतिकथा से पता लगाते हैं, जो इन शब्दों के साथ शुरू होती है: “जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्ग दूत उसके साथ आएंगे तो वह अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होगा। और सब जातियां उसके साम्हने इकट्ठी की जाएंगी।”—मत्ती २५:३१, ३२.
२२, २३. कौन-से मुद्दे दिखाते हैं कि भेड़ों और बकरियों की नीतिकथा की पूर्ति १९१४ में नहीं शुरू हुई?
२२ क्या यह नीतिकथा तब लागू होती है जब १९१४ में यीशु राज सत्ता में बैठा, जो कि हम लम्बे अरसे से समझते रहे हैं? मत्ती २५:३४ राजा के रूप में उसका उल्लेख करता है, तो यह तर्कसंगत है कि यह नीतिकथा १९१४ में यीशु के राजा बनने के समय से लागू होती है। लेकिन इसके तुरन्त बाद उसने कौन-सा न्याय किया? यह ‘सब जातियों’ का न्याय नहीं था। इसके बजाय, उसने अपना ध्यान ‘परमेश्वर का घर’ होने का दावा करनेवालों की ओर मोड़ा। (१ पतरस ४:१७ फुटनोट) मलाकी ३:१-३ के सामंजस्य में, यहोवा के संदेशवाहक के रूप में यीशु ने पृथ्वी पर बचे हुए अभिषिक्त मसीहियों की न्यायिक रूप से जाँच की। यह मसीहीजगत पर न्यायिक दण्ड का भी समय था, जिसने झूठमूठ ‘परमेश्वर का घर’ होने का दावा किया।c (प्रकाशितवाक्य १७:१, २; १८:४-८) फिर भी कोई बात यह नहीं दिखाती कि उस समय, या उसके बाद, यीशु अंततः भेड़ों या बकरियों के रूप में सब जातियों के लोगों का न्याय करने के लिए बैठा।
२३ यदि हम नीतिकथा में यीशु की गतिविधि का विश्लेषण करते हैं, तो हम उसे अंततः सब जातियों का न्याय करते हुए देखते हैं। नीतिकथा यह नहीं दिखाती कि यह न्याय-कार्य कई सालों की लम्बी अवधि तक चलेगा, मानो इन पिछले दशकों के दौरान मरनेवाले हर व्यक्ति का न्याय किया गया हो कि वह अनन्त मृत्यु के योग्य है या अनन्त जीवन के। ऐसा लगता है कि हाल के दशकों में मरनेवाले अधिकांश लोग मानवजाति की सामान्य क़ब्र में गए हैं। (प्रकाशितवाक्य ६:८; २०:१३) लेकिन, यह नीतिकथा उस समय के बारे में बताती है जब यीशु ‘सब जातियों’ के लोगों का न्याय करता है जो उस समय जीवित हैं और उसके न्यायदण्ड के कार्यान्वयन का सामना करते हैं।
२४. भेड़ों और बकरियों की नीतिकथा की पूर्ति कब होगी?
२४ दूसरे शब्दों में, नीतिकथा भविष्य की ओर संकेत करती है जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा। वह उस समय जीवित लोगों का न्याय करने के लिए बैठेगा। उसका न्याय इस बात पर आधारित होगा कि इन लोगों ने अपने आपको किस रूप में दिखाया है। उस समय “धर्मी और दुष्ट का भेद” स्पष्ट रूप से स्थापित हो चुका होगा। (मलाकी ३:१८) न्यायदण्ड सुनाने और उसे कार्यान्वित करने का असल काम एक सीमित समय में पूरा किया जाएगा। यीशु, व्यक्तियों के बारे में जो प्रकट हो चुका है उस पर आधारित न्यायसंगत फ़ैसले सुनाएगा।—२ कुरिन्थियों ५:१० भी देखिए।
२५. मनुष्य के पुत्र का महिमा के सिंहासन पर बैठने के बारे में बात करते समय मत्ती २५:३१ क्या चित्रित कर रहा है?
२५ तो फिर, इसका अर्थ है कि यीशु का न्याय के लिए ‘अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होना,’ जो मत्ती २५:३१ में उल्लिखित है, उस भावी समय पर लागू होता है जब यह शक्तिशाली राजा राष्ट्रों पर न्यायदण्ड सुनाने और उसे कार्यान्वित करने के लिए बैठेगा। जी हाँ, मत्ती २५:३१-३३, ४६ का न्यायिक दृश्य, जिसमें यीशु सम्मिलित है दानिय्येल अध्याय ७ के दृश्य के तुल्य है, जहाँ न्यायी की अपनी भूमिका निभाने के लिए सत्ताधारी राजा, अति प्राचीन विराजमान हुआ।
२६. इस नीतिकथा की कौन-सी नयी व्याख्या सामने आती है?
२६ भेड़ों और बकरियों की नीतिकथा को इस प्रकार समझना दिखाता है कि भेड़ों और बकरियों का न्याय सुनाया जाना भविष्य में होगा। यह मत्ती २४:२९, ३० में उल्लिखित “क्लेश” के शुरू होने और मनुष्य के पुत्र के ‘अपनी महिमा में आने’ के बाद होगा। (मरकुस १३:२४-२६ से तुलना कीजिए।) उस समय, जब सम्पूर्ण दुष्ट व्यवस्था अपने अन्त पर होगी, यीशु मुक़द्दमा चलाएगा और न्यायदण्ड सुनाएगा और कार्यान्वित करेगा।—यूहन्ना ५:३०; २ थिस्सलुनीकियों १:७-१०.
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भेड़ों और बकरियों के लिए क्या भविष्य?प्रहरीदुर्ग—1995 | अक्टूबर 15
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३. इससे पहले अपने उपदेश में, यीशु ने क्या कहा कि बड़े क्लेश के शुरू होने के तुरन्त बाद क्या होगा?
३ यीशु ने पूर्वबताया कि बड़े क्लेश के शुरू होने के “बाद तुरन्त” असाधारण घटनाएँ होंगी, घटनाएँ जिनकी हम प्रतीक्षा करते हैं। उसने कहा कि तब “मनुष्य के पुत्र का चिन्ह” दिखाई देगा। इससे “पृथ्वी के सब कुलों के लोग” अत्यधिक प्रभावित होंगे जो “मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे।” मनुष्य का पुत्र “अपने दूतों” के साथ आएगा। (मत्ती २४:२१, २९-३१)a भेड़ों और बकरियों की नीतिकथा के बारे में क्या? आधुनिक बाइबलें इसे अध्याय २५ में डालती हैं, लेकिन यह यीशु के उत्तर का भाग है, जो महिमा में उसके आगमन के बारे में अधिक विवरण देता है और उसका ‘सब जातियों’ के न्याय करने पर केंद्रित है।—मत्ती २५:३२.
नीतिकथा में प्रतीक
४. भेड़ों और बकरियों की नीतिकथा की शुरूआत में यीशु के बारे में क्या उल्लेख किया गया है, साथ ही और किसका उल्लेख किया गया है?
४ यीशु यह कहकर नीतिकथा को शुरू करता है: “जब मनुष्य का पुत्र . . . आएगा।” आप संभवतः जानते हैं कि “मनुष्य का पुत्र” कौन है। सुसमाचार पुस्तकों के लेखकों ने अकसर यह अभिव्यक्ति यीशु के लिए प्रयोग की। स्वयं यीशु ने भी प्रयोग की, और निःसंदेह उसके मन में दानिय्येल का दर्शन था जिसमें उसने “प्रभुता, महिमा और राज्य” पाने के लिए “मनुष्य के सन्तान सा कोई” अति प्राचीन के पास आते देखा। (दानिय्येल ७:१३, १४; मत्ती २६:६३, ६४; मरकुस १४:६१, ६२) जबकि इस नीतिकथा में यीशु मुख्य पात्र है, वह अकेला नहीं है। जैसा मत्ती २४:३०, ३१ में उद्धृत है, इस उपदेश में पहले उसने कहा कि जब मनुष्य का पुत्र ‘बड़ी सामर्थ और ऐश्वर्य के साथ आएगा,’ तो उसके स्वर्गदूत एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे। उसी प्रकार, भेड़ों और बकरियों की नीतिकथा दिखाती है कि जब यीशु न्याय करने के लिए ‘अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होता है’ तब उसके साथ स्वर्गदूत हैं। (मत्ती १६:२७ से तुलना कीजिए।) परन्तु न्यायी और उसके स्वर्गदूत स्वर्ग में हैं, तो क्या इस नीतिकथा में मनुष्यों की चर्चा की गयी है?
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भेड़ों और बकरियों के लिए क्या भविष्य?प्रहरीदुर्ग—1995 | अक्टूबर 15
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समान्तरों पर ध्यान दीजिए
बड़े क्लेश के शुरू होने के बाद, मनुष्य का पुत्र आता है
मनुष्य का पुत्र आता है
बड़े ऐश्वर्य के साथ आता है माहिमा के साथ आता है और
अपने महिमा के सिंहासन पर
विराजमान होता है
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भेड़ों और बकरियों के लिए क्या भविष्य?प्रहरीदुर्ग—1995 | अक्टूबर 15
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पृथ्वी के सब कुलों के लोग उसे देखते हैं सब जातियाँ इकट्ठी की जाती हैं;
अन्ततः बकरियों का न्याय किया जाता है
(बड़े क्लेश का अन्त होता है)
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