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भेड़ों और बकरियों के लिए क्या भविष्य?प्रहरीदुर्ग—1995 | अक्टूबर 15
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४. भेड़ों और बकरियों की नीतिकथा की शुरूआत में यीशु के बारे में क्या उल्लेख किया गया है, साथ ही और किसका उल्लेख किया गया है?
४ यीशु यह कहकर नीतिकथा को शुरू करता है: “जब मनुष्य का पुत्र . . . आएगा।” आप संभवतः जानते हैं कि “मनुष्य का पुत्र” कौन है। सुसमाचार पुस्तकों के लेखकों ने अकसर यह अभिव्यक्ति यीशु के लिए प्रयोग की। स्वयं यीशु ने भी प्रयोग की, और निःसंदेह उसके मन में दानिय्येल का दर्शन था जिसमें उसने “प्रभुता, महिमा और राज्य” पाने के लिए “मनुष्य के सन्तान सा कोई” अति प्राचीन के पास आते देखा। (दानिय्येल ७:१३, १४; मत्ती २६:६३, ६४; मरकुस १४:६१, ६२) जबकि इस नीतिकथा में यीशु मुख्य पात्र है, वह अकेला नहीं है। जैसा मत्ती २४:३०, ३१ में उद्धृत है, इस उपदेश में पहले उसने कहा कि जब मनुष्य का पुत्र ‘बड़ी सामर्थ और ऐश्वर्य के साथ आएगा,’ तो उसके स्वर्गदूत एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे। उसी प्रकार, भेड़ों और बकरियों की नीतिकथा दिखाती है कि जब यीशु न्याय करने के लिए ‘अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होता है’ तब उसके साथ स्वर्गदूत हैं। (मत्ती १६:२७ से तुलना कीजिए।) परन्तु न्यायी और उसके स्वर्गदूत स्वर्ग में हैं, तो क्या इस नीतिकथा में मनुष्यों की चर्चा की गयी है?
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भेड़ों और बकरियों के लिए क्या भविष्य?प्रहरीदुर्ग—1995 | अक्टूबर 15
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दूत उसके साथ हैं स्वर्गदूत उसके साथ आते हैं
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