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  • ‘विश्‍वासयोग्य दास’ और उसका शासी वर्ग
    प्रहरीदुर्ग—1990 | अक्टूबर 1
    • १३ एक समान दृष्टान्त, तोड़े के दृष्टान्त में, यीशु ने कहा कि बहुत दिनों के बाद, वह स्वामी अपने दासों से हिसाब लेने के लिए आया। उन दासों से, जो विश्‍वासयोग्य ठहरे, स्वामी ने कहा: “तू थोड़े में विश्‍वासयोग्य रहा, मैं तुझे बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाऊँगा। अपने स्वामी के आनन्द में सम्भागी हो।” लेकिन बेईमान दास के संबंध में, उसने कहा: “उस से वह भी जो उसके पास है, ले लिया जाएगा। और इस निकम्मे दास को बाहर के अन्धेरे में डाल दो।”—मत्ती २५:२१-२३, २९, ३०.

      १४. यीशु ने अपने आत्मा से अभिषिक्‍त दासों से क्या अपेक्षा रखी?

      १४ बहुत देर के बाद—लगभग १९ सदियाँ—मसीह को १९१४ में, ‘अन्य जातियों के नियत समय’ के आख़िर में, राजपद हासिल हुआ। (लूका २१:२४; न्यू.व.) उसके कुछ ही देर बाद, उन्होंने “आकर” अपने दास, आत्मा से अभिषिक्‍त मसीहियों से “लेखा” लिया। (मत्ती २५:१९) यीशु ने उनकी तरफ़ से, वैयक्‍तिक रूप से और सामूहिक रूप से क्या अपेक्षा रखी? नौकर का नियतकार्य जैसे पहली-सदी में था, वैसे ही जारी रहा। मसीह ने व्यक्‍तियों को तोड़े सौंपे थे—“हर एक को उस की सामर्थ के अनुसार।” (मत्ती २५:१५) यहाँ १ कुरिन्थियों ४:२ में दिया नियम लागू हो सकता है, जहाँ पर लिखा गया है: “भण्डारी में यह बात देखी जाती है, कि विश्‍वास योग्य निकले।” तोड़ों को काम पर लगाने का मतलब था परमेश्‍वर के राजदूतों के तौर से वफ़ादारी से कार्य करना, शिष्य बनाना और उन्हें आध्यात्मिक सच्चाइयाँ देना।—२ कुरिन्थियों ५:२०.

  • ‘विश्‍वासयोग्य दास’ और उसका शासी वर्ग
    प्रहरीदुर्ग—1990 | अक्टूबर 1
    • २१. (अ) मसीह ने किसे आध्यात्मिक भोजन वितरित करता हुआ पाया, और उन्होंने उन को किस तरह प्रतिदान दिया? (ब) विश्‍वासयोग्य दास और उसके शासी वर्ग के सामने क्या था?

      २१ १९१८ में, जब यीशु मसीह ने उनके दास वर्ग होने का दावा करनेवालों का निरीक्षण किया, तब उन्होंने मसीहियों का एक अंतर्राष्ट्रीय समूह पाया, जो दोनों, अन्दर मण्डली में और बाहर प्रचार कार्य में, उपयोग में लाए जाने के लिए बाइबल सच्चाइयों को प्रकाशित कर रहा था। १९१९ में सचमुच वैसे ही हुआ, जैसा मसीह ने पूर्वबतलाया था: “धन्य है, वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए। मैं तुम्हें सच कहता हूँ, वह उसे अपनी सारी संपत्ति पर सरदार ठहराएगा।” (मत्ती २४:४६, ४७) ये सच्चे मसीही अपने स्वामी के आनन्द में सम्भागी हुए। चूँकि उन्होंने खुद को “थोड़े में विश्‍वासयोग्य” दिखाया, स्वामी ने उन्हें “बहुत वस्तुओं का अधिकारी” नियुक्‍त किया। (मत्ती २५:२१) विश्‍वासयोग्य दास और उसका शासी वर्ग एक विस्तृत नियतकार्य के लिए तैयार, अपने स्थान पर था। हमें कितना आनन्दित होना चाहिए कि यह ऐसा था, इसलिए कि विश्‍वासयोग्य दास और उसके शासी वर्ग के एकनिष्ठ कार्य से वफ़ादार मसीही बहुत लाभ प्राप्त कर रहे हैं!

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