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‘जाओ और लोगों को चेला बनना सिखाओ’प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2020 | जनवरी
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1-2. यीशु की कब्र के पास एक स्वर्गदूत औरतों से क्या कहता है और खुद यीशु उन्हें क्या आज्ञा देता है?
ईसवी सन् 33 के नीसान 16 की सुबह है। कुछ औरतें भारी मन से उस कब्र की तरफ बढ़ रही हैं, जहाँ करीब 36 घंटे पहले उनके प्रभु यीशु मसीह को दफनाया गया था। वे यह सोचकर वहाँ जा रही हैं कि यीशु के शव पर मसाले और खुशबूदार तेल मलेंगी। लेकिन जब वे कब्र के पास पहुँचती हैं, तो उसे खाली देखकर हैरान हो जाती हैं। तभी उन्हें एक स्वर्गदूत दिखायी देता है, जो उनसे कहता है कि यीशु मरे हुओं में से ज़िंदा हो गया है। स्वर्गदूत यह भी कहता है, “वह तुमसे पहले गलील जाएगा और वहाँ तुम उसे देखोगे।”—मत्ती 28:1-7; लूका 23:56; 24:10.
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‘जाओ और लोगों को चेला बनना सिखाओ’प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2020 | जनवरी
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4 यीशु चाहता है कि उसके सभी चेले प्रचार करें। उसने यह काम सिर्फ अपने 11 वफादार प्रेषितों को नहीं दिया था। हम इतने यकीन से क्यों कह सकते हैं? ज़रा सोचिए, जब यीशु ने गलील पहाड़ पर चेला बनाने की आज्ञा दी, तो क्या वहाँ सिर्फ प्रेषित मौजूद थे? जी नहीं। याद कीजिए कि स्वर्गदूत ने औरतों से कहा था: “[गलील में] तुम उसे देखोगे।” तो यह मुमकिन है कि प्रेषितों के अलावा, ये वफादार औरतें भी मौजूद थीं। प्रेषित पौलुस ने बताया कि यीशु “एक ही वक्त पर 500 से ज़्यादा भाइयों के सामने प्रकट हुआ।” (1 कुरिं. 15:6) ये 500 से ज़्यादा भाई कहाँ इकट्ठा हुए थे?
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