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धार्मिकता मौखिक परंपराओं के ज़रिए नहींप्रहरीदुर्ग—1991 | नवंबर 1
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१७. यीशु ने “आँख के बदले आँख और दाँत के बदले दाँत” से बेहतर कौनसा रास्ता सिखाया?
१७ यीशु ने आगे कहा: “तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था, कि ‘आँख के बदले आँख, और दाँत के बदले दाँत।’ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि बुरे का सामना न करना; परन्तु जो कोई तेरे दहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उस की ओर दूसरा भी फेर दे।” (मत्ती ५:३८-४२) यीशु यहाँ चोट पहुँचाने के हेतु किसी घूँसे का ज़िक्र नहीं कर रहा था लेकिन हाथ के पृष्ठभाग से लगाए गए एक अपमानजनक थप्पड़ से था। एक दूसरे का अपमान करके अपना दरजा मत घटाओ। बुराई के बदले बुराई करने से साफ़ इन्कार करो। उलटा, भलाई करें और इस तरह “भलाई से बुराई को जीत लो।”—रोमियों १२:१७-२१.
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धार्मिकता मौखिक परंपराओं के ज़रिए नहींप्रहरीदुर्ग—1991 | नवंबर 1
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२०. मूसा की व्यवस्था को छोड़ने के बजाय, यीशु ने उसके प्रभाव को ज़्यादा विस्तृत और गहरा बनाकर उसे एक और भी ज़्यादा ऊँचे स्तर पर कैसे रखा?
२० इसलिए जब यीशु ने व्यवस्था के कुछ हिस्सों का ज़िक्र किया और कहा, “परन्तु मैं तुम से कहता हूँ,” वह मूसा की व्यवस्था को छोड़कर उसकी जगह में कुछ और नहीं ला रहा था। नहीं, पर वह उसके पीछे की मनोवृत्ति दिखाकर उसकी ताक़त को और अधिक गहरा और विस्तृत बना रहा था। भाईचारे के एक ज़्यादा ऊँचे नियम में निरन्तर दुर्भावना को हत्या ही माना जाता है। शुद्धता के एक ज़्यादा ऊँचे नियम के अनुसार निरन्तर आनेवाले हवस-भरे विचारों को व्यभिचार ही माना जाता है। विवाह के एक ज़्यादा ऊँचे नियम से छिछोरे रूप से किए गए तलाक़ ठुकरा दिए जाते हैं क्योंकि इन की वजह से व्यभिचारी पुनर्विवाह होते हैं। सच्चाई के एक ज़्यादा ऊँचे नियम से दिखायी देता है कि बार-बार शपथ खाना फ़ुज़ूल है। कोमलता के एक ज़्यादा ऊँचे नियम का पालन करने से बदले की भावना को निकाल दिया जाता है। प्रेम के एक ज़्यादा ऊँचे नियम से एक ऐसा ईश्वरीय प्रेम आवश्यक हो जाता है जिसकी कोई सीमा नहीं।
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