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धार्मिकता मौखिक परंपराओं के ज़रिए नहींप्रहरीदुर्ग—1991 | नवंबर 1
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१८. (अ) यहूदियों ने अपने पड़ोसी से प्रेम रखने के नियम को कैसे बदल डाला, लेकिन यीशु ने इसे किस तरह प्रभावहीन कर दिया? (ब) “पड़ोसी” शब्द के अनुप्रयोग को सीमित करना चाह रहे एक व्यवस्थापक को यीशु का जवाब क्या था?
१८ छठी और आख़री मिसाल में, यीशु ने स्पष्ट रूप से दिखाया कि मूसा की व्यवस्था रब्बियों की परंपरा से किस तरह कमज़ोर की गयी थी: “तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि ‘अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर।’ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करो।” (मत्ती ५:४३, ४४) मूसा की लिखित व्यवस्था में प्रेम पर कोई प्रतिबन्ध न था: “एक दूसरे से अपने ही समान प्रेम रखना।” (लैव्यव्यवस्था १९:१८) वे फ़रीसी ही थे जो इस आदेश का पालन करने से जी चुराते थे, और इस से बच निकलने के लिए उन्होंने “पड़ोसी,” इस शब्द को उन्हीं लोगों तक सीमित रखा जो परंपराओं का पालन करते थे। इसीलिए जब यीशु ने बाद में एक व्यवस्थापक को ‘अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखने’ के नियम की याद दिला दी, उस आदमी ने बात को टालकर आपत्ति की: “तो मेरा पड़ोसी कौन है?” यीशु ने भले सामरी का दृष्टान्त देकर जवाब दिया—अपने आप को उस व्यक्ति का पड़ोसी बनाओ जिसे तुम्हारी ज़रूरत हो।—लूका १०:२५-३७.
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धार्मिकता मौखिक परंपराओं के ज़रिए नहींप्रहरीदुर्ग—1991 | नवंबर 1
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२०. मूसा की व्यवस्था को छोड़ने के बजाय, यीशु ने उसके प्रभाव को ज़्यादा विस्तृत और गहरा बनाकर उसे एक और भी ज़्यादा ऊँचे स्तर पर कैसे रखा?
२० इसलिए जब यीशु ने व्यवस्था के कुछ हिस्सों का ज़िक्र किया और कहा, “परन्तु मैं तुम से कहता हूँ,” वह मूसा की व्यवस्था को छोड़कर उसकी जगह में कुछ और नहीं ला रहा था। नहीं, पर वह उसके पीछे की मनोवृत्ति दिखाकर उसकी ताक़त को और अधिक गहरा और विस्तृत बना रहा था। भाईचारे के एक ज़्यादा ऊँचे नियम में निरन्तर दुर्भावना को हत्या ही माना जाता है। शुद्धता के एक ज़्यादा ऊँचे नियम के अनुसार निरन्तर आनेवाले हवस-भरे विचारों को व्यभिचार ही माना जाता है। विवाह के एक ज़्यादा ऊँचे नियम से छिछोरे रूप से किए गए तलाक़ ठुकरा दिए जाते हैं क्योंकि इन की वजह से व्यभिचारी पुनर्विवाह होते हैं। सच्चाई के एक ज़्यादा ऊँचे नियम से दिखायी देता है कि बार-बार शपथ खाना फ़ुज़ूल है। कोमलता के एक ज़्यादा ऊँचे नियम का पालन करने से बदले की भावना को निकाल दिया जाता है। प्रेम के एक ज़्यादा ऊँचे नियम से एक ऐसा ईश्वरीय प्रेम आवश्यक हो जाता है जिसकी कोई सीमा नहीं।
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