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    प्रहरीदुर्ग—2014 | दिसंबर 15
    • यिर्मयाह 31:15 में हम पढ़ते हैं: “यहोवा कहता है: ‘रामा में रोने और बड़े विलाप की आवाज़ सुनायी दे रही है; राहेल अपने बेटों के लिए रो रही है। वह अपने बेटों की मौत पर किसी भी तरह का दिलासा नहीं चाहती, क्योंकि वे अब नहीं रहे।’”—एन.डब्ल्यू.

  • आपने पूछा
    प्रहरीदुर्ग—2014 | दिसंबर 15
    • बात चाहे जो भी हो, एक बात तो साफ है और वह यह कि यिर्मयाह 31:15 में दर्ज़ बात एक भविष्यवाणी थी। यह भविष्यवाणी सदियों बाद, जब नन्हे यीशु की जान को खतरा था, तब जो हुआ, उस घटना को दर्शाती है। राजा हेरोदेस ने हुक्म दिया कि बेतलेहेम में, जो यरूशलेम के दक्षिण की तरफ था, जितने भी लड़के दो साल या उससे कम उम्र के हैं, उन्हें मार डाला जाए। ज़रा सोचिए, अपने बेटों से बिछड़ी उन माँओं के रोने की आवाज़ किस कदर गूँज उठी होगी, क्योंकि उनके बेटे “अब नहीं रहे”! यह ऐसा था मानो उनके रोने की आवाज़ रामा तक सुनायी दे रही थी, जो यरूशलेम के उत्तर की तरफ था।—मत्ती 2:16-18.

      तो फिर यिर्मयाह के ज़माने में और यीशु के ज़माने में, इन दोनों मामलों में राहेल का अपने बेटों के लिए रोना, यहूदी माँओं का अपने कत्ल किए गए बच्चों की मौत पर शोक मनाने को दर्शाता है। बेशक, जिनकी मौत हो गयी और जो “शत्रुओं के देश” चले गए, यानी मौत की नींद सो गए, वे उस शत्रु या दुश्‍मन की गिरफ्त से उस वक्‍त आज़ाद होकर लौट सकते हैं, जब मरे हुए लोगों को दोबारा जी उठाया जाएगा।—यिर्म. 31:16; 1 कुरिं. 15:26.

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