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ज़िंदगी में सच्ची कामयाबी हासिल कीजिएप्रहरीदुर्ग—2012 | दिसंबर 15
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13. यीशु ने धन-दौलत के बारे में कैसा नज़रिया रखने की सलाह दी?
13 यीशु ने धन-दौलत के बारे में यह सलाह दी, “अपने लिए पृथ्वी पर धन जमा करना बंद करो, जहाँ कीड़ा और ज़ंग उसे खा जाते हैं और जहाँ चोर सेंध लगाकर चुरा लेते हैं। इसके बजाय, अपने लिए स्वर्ग में धन जमा करो, जहाँ न तो कीड़ा, न ही ज़ंग उसे खाते हैं और जहाँ न तो चोर सेंध लगाकर चुराते हैं। क्योंकि जहाँ तेरा धन होगा, वहीं तेरा दिल भी होगा।”—मत्ती 6:19-21.
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ज़िंदगी में सच्ची कामयाबी हासिल कीजिएप्रहरीदुर्ग—2012 | दिसंबर 15
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15. हमें किस तरह की कामयाबी पाने की कोशिश करनी चाहिए?
15 कुछ धर्मगुरु सिखाते हैं कि इंसान को किसी भी मायने में कामयाब होने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, ऐसी हर कोशिश बेकार है। मगर यीशु ने ऐसा नहीं सिखाया। उसने यह कभी नहीं कहा कि हमें कामयाब ज़िंदगी जीने की बिलकुल कोशिश नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, उसने चेलों को सलाह दी कि वे सही मायनों में कामयाब होने की कोशिश करें, धरती पर धन बटोरने में मेहनत करने के बजाय, “स्वर्ग में धन” इकट्ठा करना शुरू करें जो कभी नष्ट नहीं होगा। हमारी दिली तमन्ना होनी चाहिए कि हम यहोवा की नज़र में कामयाब होने की कोशिश करें। जी हाँ, यीशु के शब्द हमें बताते हैं कि यह फैसला हमारे हाथ में है कि हम ज़िंदगी में क्या हासिल करने के लिए मेहनत करेंगे। और हकीकत यह है कि हम वही हासिल करने के लिए मेहनत करते हैं जिसकी चाहत हमारे दिल में होती है और जिसे हम अनमोल समझते हैं।
16. हम किस बात का पूरा यकीन रख सकते हैं?
16 अगर हमारे दिल में यही चाहत है कि हम यहोवा को खुश करें, तो हम उसकी मंज़ूरी पाने के लिए मेहनत करेंगे। तब हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह हमारी हर ज़रूरत का ध्यान रखेगा। हो सकता है कभी हमें ऐसे हालात का सामना करना पड़े जब परमेश्वर कुछ वक्त के लिए हमें खाने-पीने की तंगी से गुज़रने दे, जैसे प्रेषित पौलुस के साथ हुआ था। (1 कुरिं. 4:11) लेकिन ऐसे बुरे वक्त में भी हम भरोसा रख सकते हैं कि यीशु की यह सलाह मानने में ही बुद्धिमानी है, “कभी-भी चिंता न करना, न ही यह कहना, ‘हम क्या खाएँगे?’ या, ‘हम क्या पीएँगे?’ या, ‘हम क्या पहनेंगे?’ क्योंकि इन्हीं सब चीज़ों के पीछे दुनिया के लोग दिन-रात भाग रहे हैं। मगर तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें इन सब चीज़ों की ज़रूरत है। इसलिए, तुम पहले उसके राज और उसके स्तरों के मुताबिक जो सही है उसकी खोज में लगे रहो और ये बाकी सारी चीज़ें भी तुम्हें दे दी जाएँगी।”—मत्ती 6:31-33.
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