यीशु का जीवन और सेवकाई
एक जन्म-दिन समारोह के दौरान हत्या
अपने प्रेरितों को आदेश देने के बाद, यीशु उनको दो-दो करके क्षेत्र में भेज देते हैं। संभवतः, दोनों भाई पतरस और अन्द्रियास एक साथ गए होंगे, और उसी तरह याकूब और यूहन्ना, फिलिप्पुस और बर-तुल्मै, थोमा और मत्ती, याकूब और तदै, और शमौन तथा यहूदा इस्करियोती एक साथ गए होंगे। सुसमाचार प्रचारकों के ये छः जोड़े जहाँ कहीं जाते हैं, वहाँ वे राज्य के सुसमाचार की घोषणा करते हैं और चमत्कार से बीमारियों को दूर करते हैं।
इस बीच, बपतिस्मा देनेवाला यूहन्ना अभी भी जेलखाने में है। अब लगभग दो वर्ष से वह वहीं पर है। आप को शायद याद होगा कि यूहन्ना ने सरेबाज़ार कहा था कि हेरोदेस अन्तिपास का अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी, हेरोदियास को अपनी पत्नी बना लेना ग़लत था। चूँकि हेरोदेस अन्तिपास मूसा के नियम का पालन करने का दावा करता था, यूहन्ना ने उचित रीति से इस व्यभिचारी संबंध का पर्दाफ़ाश किया था। इसी कारण से हेरोदेस ने, शायद हेरोदियास के आग्रह करने पर, यूहन्ना को जेलखाने में डाल दिया था।
हेरोदेस अन्तिपास जानता है कि यूहन्ना एक धर्मी पुरुष है और वह उसे आनन्द से सुनता भी है। इसीलिए वह नहीं जानता कि उसके साथ क्या किया जाए। दूसरी ओर, हेरोदियास यूहन्ना से घृणा करती है और उसे मरवा डालने के लिए मौक़े की खोज करती रहती है। अन्ततः, जिस अवसर की प्रतीक्षा वह कर रही होती है, वह आ जाता है।
सामान्य युग ३२ के फसह के कुछ ही समय पूर्व, हेरोदेस अपने जन्म दिन का महान उत्सव आयोजित करता है। इस समारोह के लिए हेरोदेस के सभी ऊँचे अधिकारी और सेनापति, और साथ साथ गलील के प्रधान नागरिक इकट्ठा हुए हैं। जैसे शाम बढ़ती है, हेरोदियास की अपने भूतपूर्व पति फिलिप्पुस से हुई युवा बेटी, शलोमी को मेहमानों की ख़ातिर नाचने के लिए भीतर भेजा जाता है। नर दर्शक उसके नाच से, जो निःसन्देह अत्यधिक लुभावना है, मोहित हो जाते हैं।
हेरोदेस शलोमी से अति प्रसन्न है। वह कहता है, “तू जो चाहे मुझ से माँग, मैं तुझे दूँगा।” वह शपथ भी खाता है: “अपने आधे राज्य तक जो कुछ तू मुझ से माँगेगी मैं तुझे दूँगा।”
उत्तर देने से पहले, शलोमी बाहर जाकर अपनी माता से सलाह लेती है। वह पूछती है, “मैं क्या माँगूँ?”
आख़िर अवसर आ ही गया है! बिना हिचकिचाए हेरोदियास उत्तर देती है: “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर।”
शलोमी झट हेरोदेस के पास लौटकर बिनती करती है: “मैं चाहती हूँ कि तू अभी यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर एक थाल में मुझे मँगवा दे।”
हेरोदेस बहुत दुःखी होता है। पर चूँकि उसके मेहमानों ने उसकी शपथ सुनी है, उसे पूरा नहीं करने में उसे शर्म महसूस होती है, हालाँकि इसका मतलब है कि एक निरपराध मनुष्य की हत्या करनी पड़ेगी। उसकी भयंकर आज्ञा के साथ एक जल्लाद को तुरन्त जेलखाने भेज दिया जाता है। शीघ्र ही वह एक थाल में रखा यूहन्ना का सिर लेकर वापस आता है, और उसे शलोमी को देता है। वह, पारी से, उसे अपनी माँ के पास ले जाती है। जब यूहन्ना के शिष्य इस बात को सुनते हैं, वे आकर उस की लोथ उठाकर उसे दफ़ना देते हैं, और फिर यीशु को इस बात की सूचना देते हैं।
बाद में, जब हेरोदेस सुनता है कि यीशु लोगों को चंगा कर रहे हैं और दुष्टात्माओं को निकाल रहे हैं, तब वह भयभीत होता है, इस डर से कि यीशु वास्तव में यूहन्ना ही हैं, जिसे मरे हुओं में से जिलाया गया है। तदुपरांत, उसे यीशु को देखने की बड़ी इच्छा होती है, उनके प्रचार को सुनने नहीं, परन्तु इस बात की पुष्टि करने कि क्या उसके भय का कोई आधार है या नहीं। मत्ती १०:१-५; ११:१; १४:१-१२; मरकुस ६:१४-२९; लूका ९:७-९.
◆ यूहन्ना जेलखाने में क्यों है, और क्यों हेरोदेस उसे मार डालना नहीं चाहता?
◆ अन्ततः हेरोदियास यूहन्ना को कैसे मरवा सकती है?
◆ यूहन्ना की मृत्यु के बाद, हेरोदेस यीशु को क्यों देखना चाहता है?
[पेज 9 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]