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“तू सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर”सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
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3, 4. (क) शैतान ने यीशु को पहला और दूसरा प्रलोभन देते समय अपनी बात कैसे शुरू की? (ख) वह यीशु के मन में किस बात पर शक पैदा करना चाहता था? (ग) आज भी शैतान कैसे यही पैंतरा अपनाता है?
3 मत्ती 4:1-7 पढ़िए। गौर कीजिए कि शैतान ने यीशु को कैसे फुसलाने की कोशिश की। उसने यीशु को पहला और दूसरा प्रलोभन देते समय बड़ी चालाकी से उससे कहा, “अगर तू परमेश्वर का एक बेटा है।” क्या शैतान को शक था कि यीशु परमेश्वर का बेटा है भी कि नहीं? जी नहीं। एक स्वर्गदूत होने के नाते वह अच्छी तरह जानता था कि यीशु परमेश्वर का पहलौठा बेटा है। (कुलु. 1:15) उसे यह भी पता था कि यहोवा ने स्वर्ग से यीशु के बारे में कहा था, “यह मेरा प्यारा बेटा है। मैंने इसे मंज़ूर किया है।” (मत्ती 3:17) लेकिन शैतान यीशु के मन में शक पैदा करना चाहता था कि क्या यहोवा पर भरोसा किया जा सकता है, क्या वह सच में उसकी परवाह करता है। जब वह यीशु को फुसलाने के लिए उससे कहता है कि वह पत्थरों को रोटियाँ बना ले, तो वह मानो यीशु से कह रहा था, ‘क्या तू वाकई परमेश्वर का बेटा है? अगर है तो तेरा पिता तुझे इस वीराने में भूखा क्यों मार रहा है?’ इसके बाद जब वह यीशु से कहता है कि वह मंदिर से कूद जाए, तो एक तरह से वह उससे कहता है, ‘तू परमेश्वर का बेटा है न, क्या तू अपने पिता पर भरोसा कर सकता है कि अगर तू यहाँ से कूदे तो वह तुझे बचा लेगा?’
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“तू सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर”सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल!
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5. यीशु ने शैतान के पहले और दूसरे प्रलोभन को कैसे ठुकराया?
5 गौर कीजिए कि यीशु ने दोनों प्रलोभनों को कैसे ठुकराया। उसे ज़रा भी शक नहीं था कि उसका पिता यहोवा उससे प्यार करता है या नहीं और उसे अपने पिता पर पूरा भरोसा भी था। इसलिए शैतान ने जब उसे फुसलाने की कोशिश की, तो उसने साफ इनकार कर दिया। उसने शैतान को जवाब देने के लिए उन आयतों का हवाला दिया जिनमें यहोवा का नाम आता है। (व्यव. 6:16; 8:3) यीशु ने कितना सही किया। यहोवा का नाम इस्तेमाल करके उसने दिखाया कि उसे अपने पिता पर पूरा भरोसा है। यहोवा का बेजोड़ नाम अपने आप में एक गारंटी है कि वह अपने सारे वादे पूरे करेगा।a
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