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  • मसीही स्त्रियाँ सम्मान और आदर के योग्य हैं
    प्रहरीदुर्ग—1995 | जुलाई 15
    • १० तलाक़ के बारे में, यीशु से यह पूछा गया: “क्या पुरुष के लिए अपनी पत्नी को किसी भी कारण से तलाक देना उचित है?” मरकुस के वृत्तान्त के अनुसार, यीशु ने कहा: “जो कोई अपनी पत्नी को [व्यभिचार को छोड़ कोई और वजह से] तलाक देकर दूसरी स्त्री से विवाह करे, वह उसके विरुद्ध व्यभिचार करता है। और स्त्री भी अपने पति को तलाक देकर यदि दूसरे पुरुष से विवाह करती है तो वह व्यभिचार करती है।” (मरकुस १०:१०-१२; मत्ती १९:३, ९, NHT) सरलता से कहे गए इन शब्दों ने स्त्रियों के सम्मान के प्रति आदर दिखाया। यह कैसे?

  • मसीही स्त्रियाँ सम्मान और आदर के योग्य हैं
    प्रहरीदुर्ग—1995 | जुलाई 15
    • १२. ‘उस [स्त्री] के विरुद्ध व्यभिचार करता है’ शब्दों से, यीशु किस धारणा का आरम्भ कर रहा था?

      १२ दूसरा, अभिव्यक्‍ति ‘उस [स्त्री] के विरुद्ध व्यभिचार करता है’ के द्वारा, यीशु ने एक ऐसे नज़रिए का आरम्भ किया जो रब्बियों की अदालतों में स्वीकार नहीं किया जाता था—पति द्वारा अपनी पत्नी के विरुद्ध व्यभिचार करने की धारणा। दी एक्सपोज़िटर्स बाइबल कॉमॆन्ट्री समझाती है: “रब्बियों के यहूदीवाद में एक स्त्री बेवफ़ाई से अपने पति के विरुद्ध व्यभिचार कर सकती थी; और एक पुरुष, दूसरे पुरुष की पत्नी के साथ लैंगिक सम्बन्ध रखने के द्वारा उस पुरुष के विरुद्ध व्यभिचार कर सकता था। लेकिन एक पुरुष अपनी पत्नी के विरुद्ध व्यभिचार कभी नहीं कर सकता था, चाहे वह कुछ भी क्यों न करता। यीशु ने पति को पत्नी के समान नैतिक बाध्यता में रखने के द्वारा स्त्रियों की प्रतिष्ठा और सम्मान को बढ़ाया।”

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