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  • अरिमतियाह का यूसुफ हिम्मत से काम लेता है
    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2017 | अक्टूबर
    • अरिमतियाह का रहनेवाला यूसुफ, रोमी राज्यपाल पुन्तियुस पीलातुस के सामने खड़ा है। उसके मन में थोड़ी-बहुत घबराहट है क्योंकि सब जानते थे कि पीलातुस बहुत ज़िद्दी आदमी है। लेकिन अगर यीशु को आदर के साथ दफनाया जाना है, तो किसी को तो हिम्मत करनी होगी और पीलातुस से उसकी लाश माँगनी होगी। पीलातुस के साथ वह मुलाकात इतनी मुश्‍किल नहीं थी जितनी यूसुफ ने सोची थी। रोमी राज्यपाल पहले एक अफसर को बुलाकर पक्का करता है कि यीशु मर चुका है। फिर वह यूसुफ को लाश ले जाने की इजाज़त देता है। यूसुफ अब भी यीशु की मौत से बहुत दुखी है लेकिन वह तुरंत उस जगह जाता है जहाँ यीशु को मार डाला गया था।—मर. 15:42-45.

  • अरिमतियाह का यूसुफ हिम्मत से काम लेता है
    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2017 | अक्टूबर
    • महासभा का सदस्य

      खुशखबरी की किताब मरकुस में बताया गया है कि यूसुफ “धर्म-सभा का एक इज़्ज़तदार सदस्य था।” आस-पास की आयतों से पता चलता है कि धर्म-सभा का मतलब महासभा ही हो सकती है। यह महासभा, यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत थी और पूरे देश के प्रशासन की देखरेख करनेवाली परिषद्‌ थी। (मर. 15:1, 43) इससे साफ ज़ाहिर है कि यूसुफ अपने लोगों का एक अगुवा था, तभी वह रोमी राज्यपाल के सामने जा सका। यूसुफ बहुत अमीर भी था।—मत्ती 27:57.

      क्या आपमें यीशु को अपना राजा मानने की हिम्मत है?

      एक समूह के तौर पर महासभा यीशु से नफरत करती थी। इसके सदस्यों ने यीशु को मार डालने की साज़िश रची थी। लेकिन यूसुफ के बारे में कहा गया है कि वह “एक अच्छा और नेक इंसान था।” (लूका 23:50) वह महासभा के ज़्यादातर लोगों से अलग था। वह ईमानदारी से और नैतिक उसूलों के मुताबिक जीता था और परमेश्‍वर की आज्ञाएँ मानने की पूरी कोशिश करता था। वह “परमेश्‍वर के राज के आने का इंतज़ार” भी कर रहा था और शायद इसी वजह से वह यीशु का चेला बना। (मर. 15:43; मत्ती 27:57) हो सकता है, उसे यीशु का संदेश इसलिए अच्छा लगा हो क्योंकि सच्चाई और न्याय, ये बातें उसके लिए बहुत अहमियत रखती थीं।

  • अरिमतियाह का यूसुफ हिम्मत से काम लेता है
    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2017 | अक्टूबर
    • डर पर काबू पाया

      यीशु की मौत के बाद यूसुफ ने अपने डर पर काबू पाया और यीशु के चेलों का साथ देने का फैसला किया। यह बात हमें मरकुस 15:43 से पता चलती है जहाँ यूसुफ के बारे में लिखा है, “वह हिम्मत करके पीलातुस के सामने गया और उसने यीशु की लाश माँगी।”

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