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बाइबल की किताब नंबर 42—लूका“सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” सच्चा और फायदेमंद (मत्ती–कुलुस्सियों)
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सुसमाचार की किताब, लूका को एक ऐसे इंसान ने लिखा जो न सिर्फ तेज़ दिमाग का था, बल्कि नर्मदिल भी था। इन बढ़िया गुणों और परमेश्वर की आत्मा की बदौलत ही उसने ऐसा ब्यौरा तैयार किया, जो सच्चा होने के साथ-साथ प्यार और दूसरी भावनाओं से सराबोर है। किताब की शुरूआती आयतों में लेखक दावा करता है: “[मैंने] उन सब बातों का सम्पूर्ण हाल आरम्भ से ठीक ठीक जांच करके उन्हें तेरे लिये क्रमानुसार लि[खा]।” उसने जिस बारीकी और सावधानी से अपनी जानकारी पेश की, उससे उसका यह दावा सच साबित होता है।—लूका 1:3.
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बाइबल की किताब नंबर 42—लूका“सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” सच्चा और फायदेमंद (मत्ती–कुलुस्सियों)
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4 लूका ने अपनी किताब कब लिखी? प्रेरितों की किताब का लेखक (जो लूका ही है) प्रेरितों 1:1 में कहता है कि उसने “पहली पुस्तिका” यानी सुसमाचार की किताब को प्रेरितों से पहले लिखा था। प्रेरितों की किताब शायद सा.यु. 61 के आस-पास लिखी गयी थी, जब लूका रोम में पौलुस के साथ था, जो कैसर से अपनी अपील की सुनवाई का इंतज़ार कर रहा था। इससे ऐसा लगता है कि लूका ने सुसमाचार की किताब शायद कैसरिया में करीब सा.यु. 56-58 में लिखी। यह उस समय की बात है जब पौलुस की तीसरी मिशनरी यात्रा खत्म हो चुकी थी और लूका उसके साथ फिलिप्पी से कैसरिया लौटा था, जहाँ पौलुस ने दो साल कैद में काटे और फिर उसे सुनवाई के लिए रोम ले जाया गया था। इन दो सालों के दौरान क्योंकि लूका पैलिस्टाइन में था, इसलिए वह यीशु की ज़िंदगी और सेवा के बारे में “सब बातों का सम्पूर्ण हाल आरम्भ से ठीक ठीक जांच” कर पाया। इन सारी बातों को मद्देनज़र रखते हुए ऐसा मालूम होता है कि लूका की किताब, मरकुस की किताब से पहले लिखी गयी थी।
5 लूका ने अपनी सुसमाचार की किताब में जितनी घटनाएँ दर्ज़ कीं, वह उनका चश्मदीद गवाह नहीं था। क्योंकि वह 12 प्रेरितों में से नहीं था और शायद वह यीशु की मौत के बाद ही मसीही बना था। मगर हाँ, मिशनरी सेवा में वह पौलुस का करीबी साथी ज़रूर था। (2 तीमु. 4:11; फिले. 24) इसलिए, जैसे कि उम्मीद की जा सकती है, लूका की किताब में पौलुस का असर देखा जा सकता है। और यह बात लूका 22:19, 20 और 1 कुरिन्थियों 11:23-25 में प्रभु के संध्या भोज के बारे में दिए उन दोनों के ब्यौरों की तुलना करने से साफ पता चलता है। इसके अलावा, अपनी किताब को लिखने के लिए लूका ने मत्ती की किताब से भी मदद ली होगी। ‘सब बातों की ठीक ठीक जाँच’ करने के लिए लूका ने ऐसे कई लोगों का इंटरव्यू लिया होगा, जो यीशु की ज़िंदगी में हुई घटनाओं के चश्मदीद गवाह थे। जैसे, यीशु के बचे हुए चेले और शायद यीशु की माँ, मरियम। हम इस बात का पूरा यकीन रख सकते हैं कि लूका ने भरोसेमंद जानकारी इकट्ठी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
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