-
‘मसीह के प्रेम को जानो’यहोवा के करीब आओ
-
-
“हे पिता, इन्हें क्षमा कर”
16. सूली पर मरते वक्त भी यह कैसे ज़ाहिर हुआ कि यीशु क्षमा करने को तत्पर रहा?
16 यीशु ने एक और अहम तरीके से अपने पिता के जैसा प्यार दिखाया—वह “क्षमा करने को तत्पर रहता” था। (भजन 86:5, NHT) जब वह सूली पर लटका हुआ था, तब भी साफ ज़ाहिर था कि वह क्षमा करने को तत्पर है। जब यीशु के हाथों और पैरों को सूली पर कीलों से ठोंक दिया गया, और एक शर्मनाक मौत मरने के लिए उसे छोड़ दिया गया, तब यीशु के मुँह से कैसी बातें निकलीं? क्या उसने अपनी जान लेनेवालों को सज़ा देने के लिए यहोवा को पुकारा? नहीं, इसके बजाय यीशु के आखिरी शब्दों में से कुछ शब्द ये थे: “हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं?”—लूका 23:34.b
-
-
‘मसीह के प्रेम को जानो’यहोवा के करीब आओ
-
-
b कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में लूका 23:34 का पहला भाग निकाल दिया गया है। लेकिन, ये शब्द कई जानी-मानी और भरोसेमंद हस्तलिपियों में पाए जाते हैं, इसलिए इन्हें और बहुत-से अनुवादों के साथ-साथ न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन में भी शामिल किया गया है। ज़ाहिर है कि यीशु रोमी सैनिकों के बारे में कह रहा था जिन्होंने उसे सूली पर चढ़ाया था। वे नहीं जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं, क्योंकि वे इस बात से बेखबर थे कि यीशु असल में है कौन। बेशक, जिन धर्मगुरुओं ने लोगों को भड़काकर यीशु को यह सज़ा सुनवायी थी वे ही इस अन्याय के लिए ज़िम्मेदार और दोषी थे, क्योंकि सब जानते-बूझते उन्होंने बड़ी बेरहमी के साथ इस काम को अंजाम दिया था। उनमें से ज़्यादातर को माफी मिलना नामुमकिन था।—यूहन्ना 11:45-53.
-