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  • जब यीशु राज्य महिमा में आता है
    प्रहरीदुर्ग—1997 | मई 15
    • ४ उन तीन प्रेरितों ने असल में क्या देखा? उस घटना के बारे में लूका का वर्णन इस प्रकार है: “जब [यीशु] प्रार्थना कर ही रहा था, तो उसके चेहरे का रूप बदल गया: और उसका वस्त्र श्‍वेत होकर चमकने लगा। और देखो, मूसा और एलिय्याह, ये दो पुरुष उसके साथ बातें कर रहे थे। ये महिमा सहित दिखाई दिए; और उसके मरने की चर्चा कर रहे थे, जो यरूशलेम में होनेवाला था।” फिर, “एक बादल ने आकर [प्रेरितों को] छा लिया, और जब वे उस बादल से घिरने लगे, तो डर गए। और उस बादल में से यह शब्द निकला, कि यह मेरा पुत्र और मेरा चुना हुआ है, इस की सुनो।”—लूका ९:२९-३१, ३४, ३५.

  • जब यीशु राज्य महिमा में आता है
    प्रहरीदुर्ग—1997 | मई 15
    • ५. रूपांतरण का प्रेरित पतरस पर क्या प्रभाव हुआ?

      ५ प्रेरित पतरस ने पहले ही यीशु को “जीवते परमेश्‍वर का पुत्र मसीह” कहकर उसकी पहचान करायी थी। (मत्ती १६:१६) स्वर्ग से यहोवा की वाणी ने उस पहचान की पुष्टि की, और यीशु के रूपांतर का दर्शन मसीह के राज्यसत्ता और महिमा में आने की एक झलक था, जब वह अंततः मानवजाति का न्याय करता। रूपांतरण के ३० से अधिक सालों बाद, पतरस ने लिखा: “जब हम ने तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह की सामर्थ का, और आगमन का समाचार दिया था तो वह चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों का अनुकरण नहीं किया था बरन हम ने आप ही उसके प्रताप को देखा था। कि उस ने परमेश्‍वर पिता से आदर, और महिमा पाई जब उस प्रतापमय महिमा में से यह वाणी आई कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं प्रसन्‍न हूं। और जब हम उसके साथ पवित्र पहाड़ पर थे, तो स्वर्ग से यही वाणी आते सुना।”—२ पतरस १:१६-१८; १ पतरस ४:१७.

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