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क्या आप “परमेश्वर की दृष्टि में धनी” हैं?प्रहरीदुर्ग—2007 | अगस्त 1
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7. यीशु के दृष्टांत में बताए आदमी ने अपनी समस्या का क्या हल निकाला?
7 अब आइए हम वापस यीशु के दृष्टांत में जाएँ। जब उस धनवान के खेत में बड़ी फसल हुई और अनाज रखने की जगह कम पड़ गयी, तब उसने क्या किया? उसने अपने पुराने गोदामों को तोड़कर उनसे भी बड़े-बड़े गोदाम बनवाने का फैसला किया, ताकि वह उनमें अपना सारा अनाज और सामान रख सके। ज़ाहिर है कि वह अपनी इस योजना से खुश था और खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा था। इसलिए उसने मन-ही-मन सोचा: “[मैं] अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।”—लूका 12:19.
उसे “मूर्ख” क्यों कहा गया?
8. यीशु के दृष्टांत में बताया आदमी कौन-सी अहम बात भूल गया था?
8 मगर जैसे यीशु ने ज़ाहिर किया, उस धनवान आदमी को उसकी योजना ने सुरक्षा का जो एहसास दिलाया था, वह झूठा था। उसने चाहे कितनी ही व्यावहारिक योजना क्यों न बनायी हो, मगर वह एक अहम बात भूल गया। उसने परमेश्वर की मरज़ी के बारे में बिलकुल भी नहीं सोचा। इसके बजाय, उसने सिर्फ अपने बारे में सोचा कि वह कैसे अपनी बाकी की ज़िंदगी खाने-पीने और सुख-चैन से जीने में बिताएगा। वह मान बैठा कि “बहुत संपत्ति” होने की वजह से वह ‘बहुत वर्ष’ जी पाएगा। मगर अफसोस, उसने जैसा सोचा वैसा नहीं हुआ। यीशु ने दृष्टांत बताने से पहले कहा था: “किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायात से नहीं होता।” (लूका 12:15) यही बात उस धनवान के मामले में सच साबित हुई। जब उस धनवान ने अपने गोदामों को बड़ा करने की योजना बनायी, तब उसी रात को उसकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया। क्योंकि परमेश्वर ने उससे कहा: “हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा?”—लूका 12:20.
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क्या आप “परमेश्वर की दृष्टि में धनी” हैं?प्रहरीदुर्ग—2007 | अगस्त 1
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10. “बहुत संपत्ति” का होना इस बात की गारंटी क्यों नहीं देता कि हम ‘बहुत वर्ष’ तक जीएँगे?
10 इस दृष्टांत से मिले सबक को हमें अपने दिल में गाँठ बाँध लेनी चाहिए। क्या ऐसा हो सकता है कि हम भी उस धनवान आदमी की तरह “बहुत संपत्ति” बटोरने के लिए मेहनत करने लगें, जबकि ‘बहुत वर्ष’ तक जीने की आशा पाने के लिए जो ज़रूरी है, वही करने से चूक जाएँ? (यूहन्ना 3:16; 17:3) बाइबल कहती है: “कोप के दिन धन से तो कुछ लाभ नहीं होता” और “जो अपने धन पर भरोसा रखता है वह गिर जाता है।” (नीतिवचन 11:4, 28) इसलिए दृष्टांत सुनाने के बाद, यीशु ने आखिर में यह चेतावनी दी: “ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं।”—लूका 12:21.
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