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परमेश्वर का राज क्या है?खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!—ईश्वर से जानें
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पाठ 31
परमेश्वर का राज क्या है?
बाइबल का मुख्य संदेश परमेश्वर के राज के बारे में है। इसी राज के ज़रिए यहोवा धरती को एक खूबसूरत फिरदौस बना देगा जैसा उसने शुरू में चाहा था। लेकिन परमेश्वर का राज क्या है? हम कैसे जानते हैं कि यह राज अभी शासन कर रहा है? परमेश्वर के राज ने अब तक क्या किया है और भविष्य में क्या करेगा? इन सवालों के जवाब इस पाठ में और अगले दो पाठों में दिए जाएँगे।
1. परमेश्वर का राज क्या है और परमेश्वर ने किसे इसका राजा बनाया है?
परमेश्वर यहोवा ने स्वर्ग में एक सरकार बनायी है जिसे परमेश्वर का राज कहा गया है। यहोवा ने यीशु मसीह को इसका राजा बनाया है। (मत्ती 4:17; यूहन्ना 18:36) बाइबल में यीशु के बारे में लिखा है, “वह राजा बनकर . . . हमेशा तक राज करेगा।” (लूका 1:32, 33) एक राजा के नाते यीशु धरती के सब लोगों पर राज करेगा।
2. यीशु के साथ कौन राज करेंगे?
यीशु अकेला राज नहीं करेगा। बल्कि ‘हर गोत्र, भाषा, जाति और राष्ट्र से लोग राजाओं की हैसियत से उसके साथ राज करेंगे।’ (प्रकाशितवाक्य 5:9, 10) जब यीशु धरती पर आया था, तब से लेकर आज तक लाखों लोग उसके शिष्य बने हैं। पर क्या सब-के-सब उसके साथ स्वर्ग में राज करेंगे? जी नहीं, उनमें से सिर्फ 1,44,000 लोग उसके साथ राज करेंगे। (प्रकाशितवाक्य 14:1-4 पढ़िए।) बाकी सभी शिष्य इसी धरती पर राज की प्रजा बनकर जीएँगे।—भजन 37:29.
3. परमेश्वर का राज क्यों इंसानों की सरकार से कहीं ज़्यादा बेहतर है?
एक शासक लोगों की भलाई के लिए शायद बहुत कुछ करना चाहे, पर उसके पास सबकुछ करने की ताकत नहीं होती। यही नहीं, कुछ समय बाद उसकी जगह कोई दूसरा शासक आ जाता है और शायद वह लोगों की भलाई के बारे में न सोचे। लेकिन राजा यीशु की जगह कभी कोई नहीं लेगा। परमेश्वर ने ‘एक ऐसा राज कायम किया है जो कभी नाश नहीं किया जाएगा।’ (दानियेल 2:44) यीशु पूरी धरती पर राज करेगा और किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगा। यीशु प्यार करनेवाला, दया और न्याय से काम करनेवाला राजा है। वह अपनी प्रजा को भी सिखाएगा कि वे एक-दूसरे के साथ प्यार, दया और न्याय से पेश आएँ।—यशायाह 11:9 पढ़िए।
और जानिए
आइए जानें कि परमेश्वर का राज क्यों इंसानों की सरकार से कहीं ज़्यादा बेहतर है।
4. परमेश्वर का राज पूरी धरती पर शासन करेगा
यीशु मसीह के पास जितना अधिकार और ताकत है, उतना किसी भी शासक के पास नहीं है। मत्ती 28:18 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
यह क्यों कहा जा सकता है कि यीशु के पास किसी भी शासक से ज़्यादा अधिकार है?
इंसान की सरकारें बदलती रहती हैं। इसके अलावा, हर सरकार धरती के किसी एक इलाके या देश पर ही राज करती है। लेकिन ध्यान दीजिए कि परमेश्वर के राज के बारे में क्या बताया गया है। दानियेल 7:14 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
परमेश्वर का राज “कभी नाश नहीं होगा,” आपको क्या लगता है, इससे हमें क्या फायदा होगा?
परमेश्वर का राज पूरी धरती पर शासन करेगा, आपको क्या लगता है, इससे हमें क्या फायदा होगा?
5. इंसानों की सरकार या परमेश्वर का राज?
हमें क्यों इंसानों की सरकार के बजाय परमेश्वर के राज की ज़रूरत है? वीडियो देखिए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
इंसान के शासन का क्या नतीजा हुआ है?
सभोपदेशक 8:9 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
क्या आपको लगता है, हमें इंसानों की सरकार के बजाय परमेश्वर के राज की ज़रूरत है? आप ऐसा क्यों कहेंगे?
6. परमेश्वर के राज के राजा हमें अच्छी तरह समझते हैं
हमारा राजा यीशु खुद एक इंसान की तरह जी चुका है। इसलिए वह हमें अच्छी तरह समझ सकता है और “हमारी कमज़ोरियों में हमसे हमदर्दी” रख सकता है। (इब्रानियों 4:15) यहोवा ने यीशु के साथ राज करने के लिए धरती से 1,44,000 लोगों को चुना है। इन वफादार आदमी-औरतों को “हर गोत्र, भाषा और जाति और राष्ट्र से” लिया गया है।—प्रकाशितवाक्य 5:9.
यीशु और उसके साथ राज करनेवाले राजा हमें और हमारी तकलीफों को अच्छी तरह समझते हैं। इस बात से आपको क्यों तसल्ली मिलती है?
यहोवा ने यीशु के साथ राज करने के लिए अलग-अलग जाति, भाषा और देश से आदमी-औरतों को चुना है
7. परमेश्वर के राज के नियम किसी भी सरकार से कहीं ज़्यादा बेहतर हैं
आम तौर पर सरकारें अपने नागरिकों की भलाई और सुरक्षा के लिए कुछ नियम-कानून बनाती हैं। परमेश्वर के राज या सरकार ने भी अपने नागरिकों के लिए कुछ नियम-कानून बनाए हैं। पहला कुरिंथियों 6:9-11 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
अगर सभी लोग चालचलन के बारे में परमेश्वर के नियम मानें,a तो यह दुनिया कैसी हो जाएगी?
यहोवा अपने नागरिकों से उम्मीद करता है कि वे उसके नियम मानें। क्या यहोवा का यह उम्मीद करना सही है? आपको ऐसा क्यों लगता है?
किस बात से पता चलता है कि जो लोग परमेश्वर के नियम नहीं मानते, वे बदल सकते हैं?—वचन 11 देखिए।
सरकारें अपने नागरिकों की भलाई और सुरक्षा के लिए नियम बनाती हैं। परमेश्वर की सरकार ने भी अपने नागरिकों की भलाई और सुरक्षा के लिए नियम बनाए हैं। लेकिन ये नियम इंसान के नियमों से कहीं ज़्यादा बेहतर हैं
कुछ लोग कहते हैं: “परमेश्वर का राज हमारे दिल में है।”
आप क्या जवाब देंगे?
अब तक हमने सीखा
परमेश्वर का राज सचमुच की एक सरकार है। यह सरकार स्वर्ग से पूरी धरती पर शासन करेगी।
आप क्या कहेंगे?
परमेश्वर के राज के राजा कौन हैं?
परमेश्वर का राज क्यों इंसानों की सरकार से कहीं ज़्यादा बेहतर है?
यहोवा अपने राज के नागरिकों से क्या उम्मीद करता है?
ये भी देखें
परमेश्वर का राज कहाँ है, ध्यान दीजिए कि इस बारे में यीशु ने क्या कहा।
“परमेश्वर का राज क्या हमारे दिल में है?” (jw.org पर दिया लेख)
यहोवा के साक्षी इंसानों की सरकार से ज़्यादा परमेश्वर के राज के वफादार क्यों रहते हैं?
बाइबल में 1,44,000 लोगों के बारे में क्या बताया गया है, जिन्हें यहोवा ने यीशु के साथ राज करने के लिए चुना है? आइए जानें।
जेल में कैद एक औरत को किस बात से यकीन हुआ कि सिर्फ परमेश्वर ही दुनिया से अन्याय मिटा सकता है?
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निष्पक्ष रहने का क्या मतलब है?खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!—ईश्वर से जानें
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पाठ 45
निष्पक्ष रहने का क्या मतलब है?
यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि “तुम दुनिया के नहीं हो।” (यूहन्ना 15:19) दुनिया से अलग रहने का एक तरीका है, निष्पक्ष रहना। यानी हम दुनिया की राजनीति और युद्धों में किसी का पक्ष नहीं लेते। लेकिन ऐसा करना हमेशा आसान नहीं होता। हो सकता है, इस वजह से लोग हमें बुरा-भला कहें या हम पर ताने कसें। फिर भी हम कैसे निष्पक्ष रह सकते हैं और यहोवा के वफादार बने रह सकते हैं? आइए जानें।
1. इंसान की सरकारों के बारे में सच्चे मसीहियों की क्या सोच है?
हम मसीही, सरकारों का आदर करते हैं। हम यीशु की यह बात मानते हैं, “जो सम्राट का है वह सम्राट को चुकाओ।” इसका मतलब, हम देश के नियम-कानून मानते हैं जैसे कि हम टैक्स भरते हैं। (मरकुस 12:17) बाइबल में बताया गया है कि इंसान की सरकारें सिर्फ इसलिए राज कर रही हैं, क्योंकि यहोवा ने उन्हें इजाज़त दी है। (रोमियों 13:1) इससे पता चलता है कि सरकारों के पास जो अधिकार है, वह यहोवा के अधिकार से बढ़कर नहीं है। सिर्फ यहोवा और उसका राज ही इंसान की समस्याओं को खत्म कर सकता है।
2. हम निष्पक्ष कैसे रह सकते हैं?
हम राजनीति में हिस्सा नहीं लेते, ठीक जैसे यीशु ने नहीं लिया था। एक बार यीशु का चमत्कार देखकर लोग उसे राजा बनाना चाहते थे। पर वह राज़ी नहीं हुआ और वहाँ से चला गया। (यूहन्ना 6:15) बाद में उसने कहा, “मेरा राज इस दुनिया का नहीं है।” (यूहन्ना 18:36) हम भी कई तरीकों से निष्पक्ष रहते हैं जैसे, हम युद्ध में लड़ने नहीं जाते। (मीका 4:3 पढ़िए।) हम झंडे जैसे राष्ट्रीय चिन्हों का आदर करते हैं, मगर उनकी भक्ति नहीं करते। (1 यूहन्ना 5:21) हम किसी भी राजनैतिक पार्टी या उम्मीदवार का पक्ष नहीं लेते और न ही उनके खिलाफ बोलते हैं। ऐसे और भी मामले हैं जिनमें निष्पक्ष रहकर हम दिखा सकते हैं कि हम परमेश्वर की सरकार या उसके राज का समर्थन करते हैं।
और जानिए
किन हालात में निष्पक्ष रहना आसान नहीं होता? और उन हालात में हम कैसे सही फैसले कर सकते हैं ताकि यहोवा खुश हो? आइए जानें।
3. सच्चे मसीही निष्पक्ष रहते हैं
निष्पक्ष रहने के बारे में हम यीशु और उसके शिष्यों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। रोमियों 13:1, 5-7 और 1 पतरस 2:13, 14 पढ़िए। फिर वीडियो देखिए और आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
हमें क्यों सरकारों का आदर करना चाहिए?
हम किन तरीकों से दिखा सकते हैं कि हम सरकारों के अधीन रहते हैं?
जब दो देशों के बीच युद्ध चल रहा होता है, तो दूसरे देश शायद यह दावा करें कि वे निष्पक्ष हैं। लेकिन वे किसी-न-किसी तरह दोनों ही देशों का साथ देते हैं। तो फिर सही मायने में निष्पक्ष रहने का क्या मतलब है? यूहन्ना 17:16 पढ़िए। फिर वीडियो देखिए और आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
निष्पक्ष रहने का क्या मतलब है और क्या नहीं?
जब सरकार हमसे कुछ ऐसा करने के लिए कहती है जो परमेश्वर के नियम के खिलाफ है, तो हमें क्या करना चाहिए? प्रेषितों 5:28, 29 पढ़िए। फिर वीडियो देखिए और आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
अगर इंसान का कोई कानून परमेश्वर के कानून के खिलाफ है, तो हमें किसका कानून मानना चाहिए?
क्या आप एक हालात बता सकते हैं जिसमें एक मसीही, सरकार का नियम नहीं मानेगा?
4. अपनी सोच और कामों में निष्पक्ष रहिए
1 यूहन्ना 5:21 पढ़िए। फिर वीडियो देखिए और आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
भाई एंझ ने राजनैतिक पार्टी का सदस्य बनने से और झंडे को सलामी देने से क्यों इनकार कर दिया?
क्या आपको लगता है कि उसने समझदारी से काम लिया?
ऐसे और कौन-से हालात हो सकते हैं जिनमें हम किसी का पक्ष लेने लग सकते हैं? वीडियो देखिए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
जब दो देशों के बीच मैच चल रहा होता है, तो ऐसे में हम कैसे निष्पक्ष रह सकते हैं?
नेताओं के फैसलों या नीतियों से हमारा फायदा या नुकसान हो सकता है। इन हालात में भी हम कैसे निष्पक्ष रह सकते हैं?
हम जो खबरें सुनते हैं और जिन लोगों की संगति करते हैं, उस वजह से हम कैसे पक्ष लेने लग सकते हैं?
किन मामलों में एक मसीही को अपनी सोच और कामों में निष्पक्ष रहना चाहिए?
शायद कोई पूछे: “आप झंडे को सलामी क्यों नहीं देते या राष्ट्रगान क्यों नहीं गाते?”
आप क्या जवाब देंगे?
अब तक हमने सीखा
मसीही, राजनैतिक मामलों में निष्पक्ष रहते हैं। वे पूरी कोशिश करते हैं कि अपनी सोच, बातों और अपने कामों में किसी का पक्ष न लें।
आप क्या कहेंगे?
सरकारों का क्या हक बनता है जो हमें अदा करना चाहिए?
हम राजनैतिक मामलों में क्यों निष्पक्ष रहते हैं?
किन हालात में निष्पक्ष रहना आसान नहीं होता?
ये भी देखें
निष्पक्ष रहने के लिए हमें कौन-से त्याग करने पड़ सकते हैं?
परिवार के लोग पहले से क्या तैयारी कर सकते हैं ताकि हालात उठने पर वे निष्पक्ष रह सकें?
एक आदमी बहुत बड़ा अफसर था जिस पर अपने देश की सुरक्षा का ज़िम्मा था। मगर उसे इससे भी बड़ा सम्मान मिला। आइए जानें कि वह क्या था।
सच्चे मसीही इस दुनिया के भाग नहीं हैं। क्या नौकरी के मामले में भी यह बात सच है? आइए जानें।
“हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा” (प्रहरीदुर्ग, 15 मार्च, 2006)
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