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  • ‘यीशु उनसे आखिर तक प्यार करता रहा’
    मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले
    • 9 यीशु को अपनों की आध्यात्मिकता की कितनी परवाह थी, यह उस वक्‍त साफ ज़ाहिर हुआ जब उसे सूली पर लटकाया गया था। उस समय जो हुआ, उसे अपने मन की आँखों से देखने की कोशिश कीजिए। वह सूली पर दर्द के मारे तड़प रहा है। उसके हाथ-पैर पर कीले ठोंके गए हैं और उसके लिए एक-एक साँस लेना मुश्‍किल हो रहा है। क्योंकि साँस लेने के लिए उसे अपने पैरों पर ज़ोर डालकर खुद को उठाना पड़ता है। तब उसके शरीर के वज़न से कील से ठुके उसके पैर और भी चिर जाते होंगे। यही नहीं, उसकी पीठ जो पहले ही कोड़े खाकर बुरी तरह छिल चुकी थी, साँस लेते वक्‍त सूली से रगड़ खाती होगी और दर्द बर्दाश्‍त के बाहर हो जाता होगा। ऐसे में बात करना उसके लिए न सिर्फ मुश्‍किल रहा होगा बल्कि दर्दनाक भी, क्योंकि बात करने के लिए साँस लेना ज़रूरी होता है। लेकिन ऐसी हालत में भी उसने जो कहा उससे उसकी माँ मरियम के लिए उसका प्यार साफ नज़र आया। पास में खड़ी अपनी माँ और प्रेषित यूहन्‍ना को देखकर यीशु ने काफी ऊँची आवाज़ में कहा, जिससे आस-पास खड़े लोग भी सुन सके। उसने कहा: “हे स्त्री, देख! तेरा बेटा!” इसके बाद उसने यूहन्‍ना से कहा: “देख! तेरी माँ!” (यूहन्‍ना 19:26, 27) यीशु जानता था कि उसका वफादार प्रेषित उसकी माँ की न सिर्फ शारीरिक ज़रूरतों का बल्कि आध्यात्मिक ज़रूरतों का भी खयाल रखेगा।b

      पेज 164, 165 पर दी तसवीरें

      परवाह करनेवाले माँ-बाप धीरज दिखाते हैं और अपने बच्चों की ज़रूरतें पूरी करते हैं

  • ‘यीशु उनसे आखिर तक प्यार करता रहा’
    मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले
    • b ऐसा लगता है कि मरियम उस समय तक विधवा हो चुकी थी और उसके दूसरे बच्चे अभी भी यीशु के चेले नहीं बने थे।—यूहन्‍ना 7:5.

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