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  • फल पैदा करें, यीशु के दोस्त बने रहें
    यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
    • “मेरी हर वह डाली जो फल नहीं देती, उसे वह [यानी पिता] काट देता है और ऐसी हर डाली जो फल देती है, उसकी वह छँटाई करता है ताकि उसमें और ज़्यादा फल लगें। . . . एक डाली तब तक फल देती है जब तक वह बेल से जुड़ी रहती है। बेल से अलग होकर डाली अपने आप फल नहीं दे सकती। तुम भी अगर मेरे साथ एकता में न रहो, तो फल नहीं पैदा कर सकते। मैं अंगूर की बेल हूँ और तुम डालियाँ हो।”—यूहन्‍ना 15:2-5.

  • फल पैदा करें, यीशु के दोस्त बने रहें
    यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
    • “जो मेरे साथ एकता में रहता है और जिसके साथ मैं एकता में रहता हूँ, वह बहुत फल पैदा करता है। मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।” बेल की डालियों यानी यीशु के चेलों को बहुत-से फल पैदा करने हैं। उन्हें यीशु के जैसे गुण दर्शाने हैं और दूसरों को परमेश्‍वर के राज के बारे में बताना है। तब और भी कई लोग यीशु के चेले बनेंगे। अगर एक चेला यीशु के साथ एकता में न रहे और फल पैदा न करे, तो क्या होगा? यीशु बताता है, “अगर कोई मेरे साथ एकता में नहीं रहता, तो उसे फेंक दिया जाता है जैसे एक डाली को फेंक दिया जाता है।” वह यह भी कहता है, “अगर तुम मेरे साथ एकता में रहो और मेरी बातें तुम्हारे दिल में रहें, तो तुम जो चाहो और माँगो, वह तुम्हें दे दिया जाएगा।”—यूहन्‍ना 15:5-7.

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