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  • “हिम्मत रख!”
    ‘परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो’
    • 10. पौलुस पर कौन-से गंभीर आरोप लगाए जाते हैं?

      10 कैसरिया में पौलुस को तब तक “हेरोदेस के महल में पहरे में रखा” जाता है जब तक कि यरूशलेम से उस पर इलज़ाम लगानेवाले नहीं आते। (प्रेषि. 23:35) पाँच दिन बाद महायाजक हनन्याह, तिरतुल्लुस नाम का एक वकील और कुछ मुखिया कैसरिया पहुँचते हैं। वे फेलिक्स के सामने हाज़िर होते हैं और तिरतुल्लुस सबसे पहले फेलिक्स की तारीफ करता है कि वह यहूदियों के लिए बहुत-से भले काम कर रहा है। वह फेलिक्स की चापलूसी करने के लिए ऐसा कहता है।b इसके बाद वह असली मुद्दे पर आता है। वह पौलुस के बारे में कहता है, “यह आदमी फसाद की जड़ है और पूरी दुनिया में यहूदियों को बगावत करने के लिए भड़काता है और नासरियों के गुट का एक मुखिया है। इसने मंदिर को अपवित्र करने की भी कोशिश की इसलिए हमने इसे पकड़ लिया।” तब दूसरे यहूदी भी ‘पौलुस के खिलाफ बोलने लगते हैं और दावे के साथ कहने लगते हैं कि ये बातें सही हैं।’ (प्रेषि. 24:5, 6, 9) सरकार के खिलाफ बगावत करना, एक खतरनाक गुट का मुखिया होना और मंदिर को अपवित्र करना, ये ऐसे गंभीर आरोप हैं जिनकी सज़ा मौत हो सकती है।

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    ‘परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो’
    • b तिरतुल्लुस, फेलिक्स का धन्यवाद करता है कि उसकी बदौलत देश के लोग “बड़े अमन-चैन से हैं।” लेकिन यह तारीफ झूठी थी। असल में फेलिक्स की हुकूमत में सबसे ज़्यादा अशांति थी। तिरतुल्लुस की यह बात भी बिलकुल झूठी थी कि फेलिक्स ने यहूदिया में सुधार लाने के लिए बहुत-से काम किए थे और यहूदी उसके “बहुत एहसानमंद” थे। सच तो यह था कि ज़्यादातर यहूदी, फेलिक्स से नफरत करते थे क्योंकि उसने उनका जीना मुश्‍किल कर दिया था और उनकी बगावत कुचलने के लिए उनके साथ बेरहमी से पेश आया था।​—प्रेषि. 24:2, 3.

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