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“मैं कैसर की दोहाई देता हूं”!प्रहरीदुर्ग—2001 | दिसंबर 15
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पौलुस ने अपने खिलाफ लगे एक-एक इलज़ाम की सफाई पेश की। उसने कहा: ‘मैंने कोई खलबली नहीं मचायी है। मैं मानता हूँ कि जिस पन्थ को वे “कुपन्थ” कहते हैं, मैं उसका एक सदस्य हूँ, मगर ऐसा करके मैं यहूदियों को दी गयी आज्ञाओं का पालन कर रहा हूँ। आसिया के कई यहूदियों ने हंगामा मचाया था। इसलिए अगर उन्हें मेरे खिलाफ कोई शिकायत है तो उन्हें खुद यहाँ आकर मुझ पर दोष लगाना चाहिए।’ पौलुस की इस सफाई से उनके सारे इलज़ाम धरे-के-धरे रह गए। यह तो बस यहूदियों के बीच धर्म को लेकर उठे झगड़े का मसला था, जिसके बारे में रोमियों को ज़्यादा मालूमात नहीं थी। यहूदी पहले से ही काफी भड़के और चिढ़े हुए थे और फेलिक्स उनके गुस्से को और हवा नहीं देना चाहता था। इसलिए उसने मुकद्दमे की सुनवाई को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया और आगे की कार्यवाही लगभग रुक गयी। पौलुस को न तो उन यहूदियों के हवाले किया गया जो दावा कर रहे थे कि वे उसका न्याय कर सकते हैं, ना ही रोम के कानून के मुताबिक उसे फैसला सुनाया गया और ना ही उसे रिहा किया गया। फेलिक्स पर फैसला सुनाने के लिए ज़ोर नहीं डाला जा सकता था। देर करने के पीछे उसकी चाल थी। वह न सिर्फ यहूदियों को अपनी तरफ करना चाहता था बल्कि उसे उम्मीद थी कि शायद पौलुस उसे रिश्वत देगा।—प्रेरितों 24:10-19,26.b
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“मैं कैसर की दोहाई देता हूं”!प्रहरीदुर्ग—2001 | दिसंबर 15
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b बेशक, रिश्वत लेना गैरकानूनी था। एक किताब कहती है: “पैसे ऐंठने के कानून, लेक्स रेपेटुन्डारम के तहत, कोई भी जो ऊँचे पद या प्रशासन में है, उसे किसी को भी कैद करने या छोड़ने, फैसला सुनाने या न सुनाने, रिहा करने या न करने के लिए, रिश्वत माँगने या लेने की मनाही थी।”
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