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“समुद्र के जोखिमों में”प्रहरीदुर्ग—1999 | मार्च 15
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रोम के लिए भोजन-सामग्री भी जहाज़ों से आती थी। रोम की जनसंख्या करीब दस लाख थी, इसलिए बड़ी मात्रा में अनाज की खपत होती थी। हर साल २,५०,००० से लेकर ४,००,००० टन खपत होती थी। इतना सारा अनाज कहाँ से आता था? फ्लेवियस जोसीफस, हेरोद अग्रिप्पा द्वितीय के शब्द दोहराते हुए कहता है कि साल के आठ महीने उत्तर अफ्रीका रोम को खिलाता था जबकि बाकी चार महीनों के लिए उसे मिस्र (इजिप्ट) से अनाज मिलता था। हज़ारों समुद्री जहाज़ उस शहर में अनाज पहुँचाते थे।
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“समुद्र के जोखिमों में”प्रहरीदुर्ग—1999 | मार्च 15
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जिस जहाज़ में पौलुस यात्रा कर रहा था और जो माल्टा के पास टूट गया था, उसके बारे में क्या कहा जा सकता है? यह “सिकन्दरिया का एक जहाज” था जो अनाज लेकर “इतालिया” जा रहा था। (प्रेरितों २७:६) यूनान, फीनीके और सूरिया के कुछ लोग अनाज ले जानेवाले इन जहाज़ों के मालिक थे। वे खुद इन्हें चलाते थे और इनका रख-रखाव करते थे। लेकिन सरकारी माल लाने ले-जाने के लिए रोमी सरकार इन जहाज़ों का किराया भरती थी। इतिहासकार विलयम एम. रैमसे कहता है, “आयात करने के इस भारी काम के लिए कई कर्मचारियों को काम पर लगाने और जहाज़ों का रख-रखाव करने की ज़रूरत पड़ती, इसलिए सरकार ने जैसे कर वसूली का काम ठेकेदारों को दे दिया था वैसे ही आयात का काम भी ठेकेदारों को सौंप देना ठीक समझा।”
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