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“परमेश्वर भेदभाव नहीं करता”‘परमेश्वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो’
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22, 23. अंताकिया के मसीहियों ने कैसे दिखाया कि वे अपने भाई-बहनों से प्यार करते हैं? आज परमेश्वर के लोग कैसे दिखाते हैं कि वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं?
22 ‘परमेश्वर के मार्गदर्शन से अंताकिया में ही पहली बार चेले “मसीही” कहलाते हैं।’ (प्रेषि. 11:26ख) चेलों के लिए “मसीही” नाम एकदम सही है क्योंकि उनके जीने का तरीका मसीह जैसा है। जब गैर-यहूदी लोग मसीही बनते हैं, तो क्या यहूदियों और गैर-यहूदियों के बीच प्यार और भाईचारा होता है? बेशक। गौर कीजिए कि करीब ईसवी सन् 46 में जब एक भारी अकाल पड़ता है तो क्या होता है।e उन दिनों में, अकाल की मार सबसे ज़्यादा गरीबों पर पड़ती थी, क्योंकि उनके पास ना तो खाना होता था ना कोई जमा-पूँजी। जब भारी अकाल पड़ता है तो यहूदिया में रहनेवाले यहूदी मसीहियों का बुरा हाल हो जाता है क्योंकि उनमें से ज़्यादातर बहुत गरीब हैं। जब अंताकिया के यहूदी और गैर-यहूदी भाइयों को इस बारे में पता चलता है तो वे “यहूदिया के भाइयों की मदद के लिए राहत का सामान” भेजते हैं। (प्रेषि. 11:29) जी हाँ, अंताकिया के मसीहियों ने दिखाया कि वे अपने भाई-बहनों से दिल से प्यार करते हैं।
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“परमेश्वर भेदभाव नहीं करता”‘परमेश्वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो’
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e यहूदी इतिहासकार जोसीफस ने अपनी किताब में लिखा कि यह “भारी अकाल” सम्राट क्लौदियुस की हुकूमत यानी ईसवी सन् 41-54 के दौरान पड़ा था।
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