वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • “आनंद और पवित्र शक्‍ति से भरपूर”
    ‘परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो’
    • 5. कुप्रुस द्वीप में गवाही देने के लिए बरनबास और शाऊल ने क्या किया?

      5 अंताकिया से बरनबास और शाऊल पैदल चलकर पास के सिलूकिया बंदरगाह पहुँचते हैं। वहाँ से समुद्री जहाज़ पर चढ़कर वे कुप्रुस द्वीप के लिए रवाना होते हैं जो करीब 200 किलोमीटर दूर है।d बरनबास कुप्रुस का ही रहनेवाला है इसलिए वह ज़रूर अपने द्वीप के इलाकों में खुशखबरी सुनाने के लिए बेताब होगा। जब बरनबास और शाऊल उस द्वीप के पूर्वी छोर पर बसे सलमीस शहर पहुँचते हैं तो वे तुरंत वहाँ “यहूदियों के सभा-घरों में परमेश्‍वर का वचन सुनाने” लगते हैं।e (प्रेषि. 13:5) वे कुप्रुस द्वीप के एक छोर से दूसरे छोर तक जाते हैं और रास्ते में पड़नेवाले बड़े-बड़े शहरों में खुशखबरी सुनाते हैं। इसके लिए इन मिशनरियों को करीब 160 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा होगा।

      यहूदियों का सभा-घर

      मूल भाषा में शब्द “सभा-घर” का मतलब है “इकट्ठा करना।” शुरू-शुरू में इस शब्द का इस्तेमाल एक ऐसे समूह के लिए किया जाता था जो एक-साथ इकट्ठा होता था। लेकिन बाद में यह शब्द उस जगह या इमारत के लिए इस्तेमाल होने लगा जहाँ यहूदी उपासना के लिए इकट्ठा होते थे।

      माना जाता है कि जब यहूदियों को बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाया गया तब से वे उपासना करने के लिए सभा-घरों में इकट्ठा होने लगे। सभा-घरों में यहोवा के बारे में सिखाया जाता था, शास्त्र से पढ़ा जाता था और शास्त्र की बातें समझायी जाती थीं। ईसवी सन्‌ पहली सदी में इसराएल देश के हर कसबे में एक सभा-घर था और बड़े शहरों में एक-से-ज़्यादा सभा-घर होते थे। यरूशलेम में तो कई सभा-घर थे।

      बैबिलोन की बँधुआई से छूटने के बाद सभी यहूदी इसराएल नहीं लौटे। कई यहूदी कारोबार करने के लिए दूसरे देश चले गए। ईसा पूर्व पाँचवीं सदी के आते-आते यहूदी, फारस के पूरे साम्राज्य में फैल चुके थे। (एस्ते. 1:1; 3:8) समय के चलते, भूमध्य सागर के आस-पास के सभी इलाकों में यहूदी लोग आकर बस चुके थे। उन इलाकों में भी यहूदियों ने अपने-अपने सभा-घर बनाए।

      सभा-घर में एक मंच होता था और मंच के सामने और उसके दोनों तरफ लोगों के बैठने की जगह होती थी। हर हफ्ते सब्त के दिन इसी मंच से मूसा का कानून पढ़कर सुनाया जाता और उसका मतलब समझाया जाता था। कोई भी वफादार यहूदी आदमी यह काम कर सकता था।

  • “आनंद और पवित्र शक्‍ति से भरपूर”
    ‘परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो’
    • d उस ज़माने में अगर हवा का रुख सही हो तो जहाज़ से दिन-भर में करीब 160 किलोमीटर की दूरी तय की जा सकती थी। लेकिन अगर मौसम खराब होता तो सफर में ज़्यादा वक्‍त लगता था।

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें