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मसीह, अपनी कलीसिया की अगुवाई करता हैप्रहरीदुर्ग—2002 | मार्च 15
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7. (क) दुनिया-भर की कलीसियाओं में अगुवाई करने के लिए यीशु ने किस तरह शासी निकाय को इस्तेमाल किया है? (ख) ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि मसीही अध्यक्षों को पवित्र-आत्मा से नियुक्त किया जाता है?
7 पहली सदी की तरह आज भी अभिषिक्त अध्यक्षों में से योग्य भाइयों का एक छोटा-सा समूह, शासी निकाय के तौर पर सेवा करता है। यह निकाय विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। यीशु इसी शासी निकाय के ज़रिए कलीसियाओं में प्राचीनों की हैसियत से सेवा करने के लिए योग्य पुरुषों को नियुक्त करता है, फिर चाहे ये प्राचीन आत्मा से अभिषिक्त हों या नहीं। इस मामले में पवित्र आत्मा एक बहुत महत्त्वपूर्ण भाग अदा करती है जिसका इस्तेमाल करने का अधिकार यहोवा ने यीशु को दिया। (प्रेरितों 2:32, 33) सबसे पहले इन अध्यक्षों को पवित्र आत्मा से प्रेरित, परमेश्वर के वचन में दी गयी माँगों को पूरा करना होता है। (1 तीमुथियुस 3:1-7; तीतुस 1:5-9; 2 पतरस 1:20, 21) प्रार्थना करने के बाद, पवित्र आत्मा के निर्देशन में सिफारिशें और नियुक्तियाँ की जाती हैं। इसके अलावा जो नियुक्त किए जाते हैं, वे इस बात का सबूत देते हैं कि उन्होंने आत्मा के फल पैदा किए हैं। (गलतियों 5:22, 23) इसलिए पौलुस की यह सलाह सभी प्राचीनों पर लागू होती है चाहे वे अभिषिक्त हों या न हों: “अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करो; जिस में पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है।” (प्रेरितों 20:28) ये नियुक्त किए हुए भाई, शासी निकाय से हिदायतें पाते हैं और खुशी-खुशी कलीसिया की रखवाली करते हैं। इस तरह मसीह हमारे साथ है और कलीसियाओं की पूरी तरह से अगुवाई कर रहा है।
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मसीह, अपनी कलीसिया की अगुवाई करता हैप्रहरीदुर्ग—2002 | मार्च 15
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11. यह कैसे कहा जा सकता है कि कलीसिया में प्राचीनों के इंतज़ाम का आदर करना बपतिस्मे के अपने वादे को निभाना है?
11 हमारा अगुवा सिद्ध है। मगर उसने मनुष्यों में जो दान दिए हैं, वे सिद्ध नहीं हैं। इसलिए उनसे गलतियाँ हो सकती हैं। फिर भी, मसीह के ठहराए इंतज़ाम के वफादार बने रहना ज़रूरी है। दरअसल समर्पण और बपतिस्मे के अपने वादे को निभाने का मतलब यही है कि कलीसिया में आत्मा से नियुक्त अधिकार को पहचानना और खुशी-खुशी उनके अधीन हो जाना। “पवित्रात्मा के नाम से बपतिस्मा” लेना इस बात का ऐलान है कि हम जानते हैं कि पवित्र आत्मा क्या है और कि यहोवा के उद्देश्यों में वह क्या भाग अदा करती है। (मत्ती 28:19) इस तरह के बपतिस्मे से यह ज़ाहिर होता है कि हम पवित्र आत्मा के निर्देशन में काम करते हैं और ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहते जिससे मसीह के चेलों के बीच यह पवित्र आत्मा काम करना बंद कर दे। प्राचीनों की सिफारिश और नियुक्ति में पवित्र आत्मा बहुत ज़रूरी भाग अदा करती है। इसलिए अगर हम कलीसिया में प्राचीनों के इंतज़ाम का साथ नहीं देते तो क्या हम कह सकते हैं कि हम अपने समर्पण के वादे को निभा रहे हैं?
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