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यहोवा के राज्य की निडरता से घोषणा करें!प्रहरीदुर्ग—1991 | फरवरी 1
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७. परमेश्वर की इच्छा के आधीन होने का, पौलुस ने कैसे उदाहरण रखा?
७ जैसे-जैसे पौलुस की तीसरी मिशनरी यात्रा समाप्ति पर थी (लगबग ५६ सा.यु.) उसने परमेश्वर की इच्छा के आधीन होने का अच्छा उदाहरण रखा। (२१:१-१४) कैसरिया में वह और उसके सहयोगी, फिलिप्पुस के पास रहे, जिसकी चार कुंवारी पुत्रियां “भविष्यद्वाणी करती थी,” पवित्र आत्मा के द्वारा वे होनेवाली घटनाओं के बारे में बताती थी। वहाँ पर मसीही भविष्यद्वक्ता अगबुस ने पौलुस के पटके से अपने हाथ पाँव बान्ध लिए और आत्मा द्वारा प्रेरित होकर कहा कि पटके के स्वामी को यहूदी, यरूशलेम में बान्ध देंगे और अन्य जातियों के हाथ में सौंप देंगे। पौलुस ने कहा, “मैं तो प्रभु यीशु के नाम के लिए, यरूशलेम में न केवल बान्धे जाने ही के लिए बरन मरने के लिए भी तैयार हूँ।” शिष्यों ने यह कहकर कि “यहोवा की इच्छा पूरी हो” चुपचाप स्वीकार कर लिया।
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यहोवा के राज्य की निडरता से घोषणा करें!प्रहरीदुर्ग—1991 | फरवरी 1
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९. भीड़ द्वारा आक्रमण के सम्बन्ध में, पौलुस और आप यहोवा के गवाहों के अनुभवों में क्या समानान्तर पाया जाता है?
९ यहोवा के गवाहों ने बहुधा भीड़ द्वारा आक्रमण का सामना करते हुए भी, परमेश्वर से खराई बनाए रखी है। (उदाहरण के लिए देखें १९७५ की इयरबुक ऑफ जेहोवाज़ विटनेसिस, पृष्ठ १८०-९०) इसी प्रकार आसिया के यहूदियों ने पौलुस के विरूद्ध भीड़ आक्रमण को प्रोत्साहन दिया। (२१:२७-४०) त्रफ़िमुस इफ़िसी को उसके साथ देखकर, उन्होंने प्रेरित पर झूठा आरोप लगाया कि वह युनानियों को मन्दिर में ले जाकर उसे अपवित्र करता है। पौलुस को मारने ही वाले थे कि, रोमी सरदार क्लौदियुस लूसियास और उसके आदमीयों ने आकर उपद्रव को शान्त किया! जैसे कि पहले बताया गया था (परन्तु यहूदियों की वजह से) लूसियास ने पौलुस को ज़ंज़ीरों से बन्धवा दिया। (प्रेरितों के काम २१:११) मन्दिर के आँगन से जुड़ें हुए सैनिक गढ़ में पौलुस को ले जाने से पहले, लूसियास को यह पता चला कि पौलुस कोई राजद्रोही नहीं, परन्तु एक यहूदी है जिसे मन्दिर क्षेत्र में जाने की अनुमति थी। बोलने की अनुमति पाकर, पौलुस ने लोगों को इब्रानी में सम्बोधित किया।
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