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  • परमेश्‍वर ने अपने प्यार की अच्छाई हम पर ज़ाहिर की है
    प्रहरीदुर्ग—2011 | जून 15
    • 7, 8. दो सिद्ध इंसानों की ज़िंदगी से क्या अलग-अलग नतीजे निकले?

      7 प्यार की खातिर यहोवा ने इंसानों को विरासत में मिले पाप से छुटकारा दिलाने के लिए एक इंतज़ाम किया। पौलुस ने समझाया कि यह इंतज़ाम एक और सिद्ध आदमी के ज़रिए मुमकिन हुआ, जो दरअसल दूसरा या आखिरी आदम था। (1 कुरिं. 15:45) लेकिन दोनों सिद्ध इंसानों ने अपनी ज़िंदगी में जो रास्ता इख्तियार किया, उसका नतीजा बिलकुल अलग-अलग निकला। कैसे?—रोमियों 5:15, 16 पढ़िए।

      8 पौलुस ने लिखा: “वरदान का नतीजा, उस गुनाह के नतीजे जैसा नहीं है।” आदम ने जानबूझकर गुनाह किया था इसलिए उसे बिलकुल सही सज़ा मिली थी यानी मौत। मगर वह अकेला नहीं था जो मौत के मुँह में गया। बाइबल में हम पढ़ते हैं: “एक आदमी के गुनाह से बहुत मर गए।” यहोवा का न्याय माँग करता था कि पापियों को मौत मिलनी चाहिए। इसलिए आदम की तरह उसकी सभी असिद्ध और पापी संतानें जिसमें हम भी शामिल हैं, मौत के हकदार हैं। फिर भी हम इस बात से दिलासा पा सकते हैं कि सिद्ध इंसान यानी यीशु की ज़िंदगी से बिलकुल अलग नतीजा निकला। क्या नतीजा निकला? इसका जवाब हमें पौलुस के शब्दों में मिलता है, “सब किस्म के इंसानों [को] नेक ठहराया [जाएगा] ताकि वे जीवन पाएँ।”—रोमि. 5:18.

      9. रोमियों 5:16, 18 के मुताबिक परमेश्‍वर इंसानों को नेक ठहराने के लिए क्या कर रहा है?

      9 जिन यूनानी शब्द का अनुवाद “नेक करार दिया जाना” और “नेक ठहराया जाना” किया गया है, उनका क्या मतलब है? बाइबल अनुवादक विलियम्स, जिनका लेख की शुरूआत में ज़िक्र किया गया है, उन्होंने समझाते हुआ कहा: “इन शब्दों को एक रूपक के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। यह पूरी तरह कानूनी शब्द नहीं, मगर इसमें कुछ कानूनी पहलू ज़रूर जुड़े हैं। यह दिखाता है कि एक इंसान अंदरूनी तौर पर नहीं बदलता बल्कि परमेश्‍वर के साथ उसका रिश्‍ता बदल जाता है . . . इस रूपक में परमेश्‍वर को एक न्यायी बताया गया है। और उसकी अदालत में एक ऐसा इंसान लाया गया है जिस पर पापी होने का इलज़ाम है। मगर परमेश्‍वर उसके पक्ष में फैसला सुनाता है। वह उस इंसान पर लगाए इलज़ामों से उसे बाइज़्ज़त बरी कर देता है।”

  • परमेश्‍वर ने अपने प्यार की अच्छाई हम पर ज़ाहिर की है
    प्रहरीदुर्ग—2011 | जून 15
    • 14, 15. परमेश्‍वर जिन्हें नेक ठहराता है उनके आगे क्या इनाम रखा है? और उस इनाम को पाने के लिए उन्हें क्या करना होगा?

      14 ज़रा सोचिए यह कितना बड़ा वरदान है कि सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर एक इंसान को विरासत में मिले उसके पाप और जितने भी गुनाह उसने किए हैं उन सबको माफ करता है! मसीही बनने से पहले एक इंसान कितने पाप करता है, शायद आप उसे गिन भी न पाएँ, लेकिन फिरौती की बिनाह पर परमेश्‍वर उन सब पापों को माफ करता है। पौलुस ने लिखा: “बहुत-से गुनाहों के बाद जो वरदान आया उससे इंसानों का परमेश्‍वर की नज़र में नेक करार दिया जाना मुमकिन हुआ।” (रोमि. 5:16) प्रेषितों और दूसरों को जिन्हें यह प्यारा वरदान (नेक करार दिया जाना) मिला, उन्हें लगातार पूरे विश्‍वास के साथ सच्चे परमेश्‍वर की उपासना करनी थी। ऐसा करने से भविष्य में उन्हें क्या इनाम मिलता? “जो लोग महा-कृपा और नेक ठहराए जाने का मुफ्त वरदान बहुतायत में पाते हैं, वे इससे भी बढ़कर यीशु मसीह के ज़रिए जीवन पाकर और राजा बनकर राज . . . करेंगे।” वाकई नेक ठहराए जाने का वरदान बिलकुल अलग है, इस वरदान से जीवन मिलता है।—रोमि. 5:17; लूका 22:28-30 पढ़िए।

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