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हर कोई आज़ाद होगाप्रहरीदुर्ग—1999 | मई 1
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‘परमेश्वर के पुत्रों का प्रगट होना’
यहोवा ने “इस आशा से” सृष्टि को व्यर्थता के अधीन कर दिया कि एक दिन “परमेश्वर के पुत्रों” के काम के ज़रिए मानव परिवार को दोबारा आज़ाद किया जाए। ये ‘परमेश्वर के पुत्र’ कौन हैं? ये यीशु मसीह के शिष्य हैं जो बाकी मानव “सृष्टि” की तरह ही पाप और असिद्धता की गुलामी में पैदा होते हैं। उनके पास, परमेश्वर के पवित्र और सिद्ध विश्वव्यापी परिवार का भाग होने का कोई पैदाइशी अधिकार नहीं है। लेकिन यहोवा उनके लिए एक अद्भुत काम करता है। यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान के ज़रिए वह उन्हें विरासत में मिले पाप की गुलामी से छुड़ाता है और उन्हें “धर्मी” या आध्यात्मिक रूप से शुद्ध ठहराता है। (१ कुरिन्थियों ६:११) फिर वह उन्हें “परमेश्वर के पुत्रों” के तौर पर गोद ले लेता है और इस तरह उन्हें अपने विश्वव्यापी परिवार में वापस ले लेता है।—रोमियों ८:१४-१७.
परमेश्वर के दत्तक पुत्रों की हैसियत से उन्हें एक महान आशीष मिलेगी। वे परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य या सरकार का एक हिस्सा होंगे और यीशु मसीह के साथ ‘परमेश्वर के लिये याजक बनेंगे और पृथ्वी पर राज्य’ करेंगे। (प्रकाशितवाक्य ५:९, १०; १४:१-४) यह एक ऐसी सरकार है जो अत्याचार और ज़ुल्म पर नहीं बल्कि आज़ादी और न्याय के उसूलों की मज़बूत बुनियाद पर टिकी है। (यशायाह ९:६, ७; ६१:१-४) प्रेरित पौलुस कहता है कि परमेश्वर के ये पुत्र यीशु के साथी हैं जो ‘इब्राहीम का वंश’ है, जिसका वादा बहुत पहले से किया गया था। (गलतियों ३:१६, २६, २९) इस वंश के रूप में वे परमेश्वर द्वारा अपने दोस्त इब्राहीम से किया गया वादा पूरा करने में एक अहम भूमिका अदा करते हैं। उस प्रतिज्ञा में यह भी कहा गया था कि इब्राहीम के वंश (या, संतान) के ज़रिए “पृथ्वी की सारी जातियां आशीष पाएंगी।”—उत्पत्ति २२:१८, NHT.
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हर कोई आज़ाद होगाप्रहरीदुर्ग—1999 | मई 1
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‘परमेश्वर के पुत्रों का प्रगट होना’ कब शुरू होगा? बहुत जल्द ही, जब यहोवा सभी पर यह अच्छी तरह ज़ाहिर कर देगा कि कौन परमेश्वर के पुत्र हैं। यह तब होगा जब पुनरुत्थान पाकर स्वर्ग जा चुके परमेश्वर के ये “पुत्र” यीशु मसीह के साथ मिलकर परमेश्वर की ओर से आनेवाले हरमगिदोन युद्ध में पृथ्वी से बुराई और अत्याचार को मिटा डालेंगे। (दानिय्येल २:४४; ७:१३, १४, २७; प्रकाशितवाक्य २:२६, २७; १६:१६; १७:१४; १९:११-२१) हम अपने चारों तरफ काफी सबूत देखते हैं कि हम “अन्तिम दिनों” की आखिरी घड़ी में आ पहुँचे हैं। विद्रोह और उसकी वज़ह से होनेवाली दुष्टता को बरदाश्त करने का परमेश्वर का वक्त अब जल्द ही खत्म होने पर है।—२ तीमुथियुस ३:१-५; मत्ती २४:३-३१.
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हर कोई आज़ाद होगाप्रहरीदुर्ग—1999 | मई 1
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‘परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोहते हुए,’ आप प्रेरित पौलुस की तरह भरोसा पैदा कर सकते हैं कि आप पर चाहे बड़ी से बड़ी मुसीबत भी क्यों न आ पड़े मसीह आपको सँभालेगा और आपकी मदद करेगा। परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने के बारे में बताने के बाद पौलुस ने सवाल किया: “कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नङ्गाई, या जोखिम, या तलवार?” (रोमियों ८:३५) जी हाँ, रूसो के शब्दों में कहें तो पौलुस के दिनों में भी मसीही किसी-न-किसी तरह के अत्याचार की ‘ज़ंजीरों से जकड़े’ हुए थे। उन्हें ‘बध होनेवाली भेड़ों’ की तरह ‘दिन भर घात किया जाता था’। (रोमियों ८:३६) क्या उन्होंने ऐसे अत्याचार की वज़ह से हार मान ली?
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