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  • क्या दुनिया की कोई चीज़ ‘हमें परमेश्‍वर के प्रेम से अलग’ कर सकती है?
    प्रहरीदुर्ग—2008 | अक्टूबर 1
    • परमेश्‍वर के करीब आइए

      क्या दुनिया की कोई चीज़ ‘हमें परमेश्‍वर के प्रेम से अलग’ कर सकती है?

      रोमियों 8:38, 39

      हममें से ऐसा कौन है, जिसे प्यार पाने की चाहत नहीं होती? जी हाँ, अपने परिवार के लोगों और दोस्तों का प्यार पाकर ही हम फलते-फूलते हैं। मगर अफसोस, इंसानी रिश्‍तों के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, ये इतने नाज़ुक होते हैं कि किसी भी पल टूट सकते हैं। जिन लोगों से हम प्यार करते हैं, एक दिन वे ही हमें ठेस पहुँचा सकते हैं, हमें छोड़कर जा सकते हैं, यहाँ तक कि हमसे पूरी तरह नाता तोड़ सकते हैं। लेकिन, एक ऐसा शख्स है, जिसका प्यार कभी नहीं बदलता। वह है परमेश्‍वर यहोवा। अपने सेवकों के लिए यहोवा के प्यार को रोमियों 8:38, 39 में बड़ी खूबसूरती से बयान किया गया है।

  • क्या दुनिया की कोई चीज़ ‘हमें परमेश्‍वर के प्रेम से अलग’ कर सकती है?
    प्रहरीदुर्ग—2008 | अक्टूबर 1
    • “न ऊंचाई, न गहिराई।” यहोवा के लोगों की ज़िंदगी में कितने भी उतार-चढ़ाव क्यों ना आएँ, वह उन्हें हर हाल में प्यार करता है।

      “न कोई और सृष्टि।” पौलुस इन शब्दों के ज़रिए ज़ाहिर करता है कि सृष्टि की कोई भी चीज़ यहोवा के वफादार सेवकों को उसके प्यार से जुदा नहीं कर सकती।

      इंसानों के प्यार का क्या भरोसा, आज है तो कल नहीं। लेकिन परमेश्‍वर का प्यार अटल है। जो परमेश्‍वर पर विश्‍वास के साथ आस लगाए रहते हैं, उनके लिए उसका प्यार हमेशा कायम रहता है। यकीनन, यह बात हमें यहोवा के करीब लाती है। साथ ही हमें उकसाती है कि हम भी जी-जान लगाकर यहोवा के लिए अपना प्यार साबित करें। (w08 8/1)

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