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परमेश्वर के प्रेम से हमें कौन अलग कर सकता है?प्रहरीदुर्ग—2001 | अक्टूबर 15
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14. पौलुस को क्यों यकीन था कि मसीहियों को चाहे मुश्किलों से भी गुज़रना पड़े, मगर परमेश्वर उन्हें कभी नहीं त्यागेगा?
14 रोमियों 8:38,39 पढ़िए। पौलुस को किस बात ने यकीन दिलाया कि कोई भी चीज़ मसीहियों को परमेश्वर के प्रेम से अलग नहीं कर सकती? बेशक, पौलुस को सेवकाई में जो अनुभव हुए उनसे उसका विश्वास और पक्का हुआ कि हम पर जो मुश्किलें आती हैं उनसे परमेश्वर के प्रेम पर कोई असर नहीं पड़ता। (2 कुरिन्थियों 11:23-27; फिलिप्पियों 4:13) पौलुस यह भी जानता था कि यहोवा ने अनंतकाल के लिए क्या मकसद रखा है और बीते समयों में उसने अपने लोगों की खातिर क्या-क्या किया। क्या मौत में भी इतना दम है कि वह परमेश्वर के वफादार सेवकों को उसके प्रेम से अलग कर सके? हरगिज़ नहीं! क्योंकि जो वफादार जन मर जाते हैं, वे परमेश्वर की याद में ज़िंदा रहते हैं और वक्त आने पर वह उन्हें दोबारा जिलाएगा।—लूका 20:37,38; 1 कुरिन्थियों 15:22-26.
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परमेश्वर के प्रेम से हमें कौन अलग कर सकता है?प्रहरीदुर्ग—2001 | अक्टूबर 15
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16 पौलुस ने जिन “वर्तमान” चीज़ों यानी आज इस दुनिया में होनेवाली घटनाओं और हालात का ज़िक्र किया, न तो उनसे और न ही “भविष्य” में होनेवाली घटनाओं से हम मसीहियों को घबराने की ज़रूरत है। इनमें से कोई भी चीज़ परमेश्वर को हमें प्रेम करने से रोक नहीं सकती। हालाँकि इंसान और दुष्ट आत्मिक प्राणी हमारे खिलाफ जंग लड़ते हैं मगर फिर भी परमेश्वर का सच्चा प्रेम हमें सहने की ताकत देता है। जैसा कि पौलुस ने ज़ोर देकर बताया, “न ऊंचाई, न गहिराई” परमेश्वर को हमें प्रेम करने से रोक सकती है। जी हाँ, चाहे कोई भी चीज़ हमें निराश करने या फिर हमें अपने काबू में करने की कोशिश करे, मगर वह हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग नहीं कर सकती। ना ही कोई और सृष्टि, सिरजनहार और उसके वफादार सेवकों के बीच के रिश्ते को तोड़ सकती है। परमेश्वर का प्रेम कभी नहीं टलता; वह सदा कायम रहता है।—1 कुरिन्थियों 13:8.
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