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  • यहोवा से आनेवाली सांत्वना के सहभागी होना
    प्रहरीदुर्ग—1996 | नवंबर 1
    • ‘सब प्रकार की सांत्वना का परमेश्‍वर’

      ५. जिन अनेक परीक्षाओं से पौलुस गुज़रा, उनके साथ-साथ उसने क्या अनुभव किया?

      ५ एक व्यक्‍ति जिसने परमेश्‍वर द्वारा दी जानेवाली सांत्वना का गहराई से मूल्यांकन किया वह था प्रेरित पौलुस। आसिया और मकिदुनिया में विशेषकर परीक्षा-भरे समय के बाद, उसने यह सुनने पर बड़ी राहत का अनुभव किया कि कुरिन्थ की कलीसिया ने उसकी ताड़ना की पत्री के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया दिखायी थी। इस बात ने उसे प्रेरित किया कि उन्हें दूसरी पत्री लिखे, जिसमें स्तुति की निम्नलिखित अभिव्यक्‍ति है: “हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्‍वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया [“कोमल करुणाओं,” NW] का पिता, और सब प्रकार की शान्ति [सांत्वना] का परमेश्‍वर है। वह हमारे सब क्लेशों में शान्ति [सांत्वना] देता है।”—२ कुरिन्थियों १:३, ४.

      ६. दूसरा कुरिन्थियों १:३, ४ में पाए गए पौलुस के शब्दों से हम क्या सीखते हैं?

      ६ इन उत्प्रेरित शब्दों से हमें बहुत जानकारी मिलती है। आइए हम इनका विश्‍लेषण करें। जब पौलुस परमेश्‍वर को स्तुति या धन्यवाद व्यक्‍त करता है या अपनी पत्रियों में उससे बिनती करता है, तो हम सामान्यतः पाते हैं कि वह मसीही कलीसिया के सिर, यीशु के लिए गहरे मूल्यांकन को भी शामिल करता है। (रोमियों १:८; ७:२५; इफिसियों १:३; इब्रानियों १३:२०, २१) इसलिए, पौलुस स्तुति की इस अभिव्यक्‍ति को “हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्‍वर, और पिता” को सम्बोधित करता है। (तिरछे टाइप हमारे।) उसके बाद, अपने लेखनों में पहली बार, वह “कोमल करुणाओं” अनुवादित एक यूनानी संज्ञा का प्रयोग करता है। यह संज्ञा ऐसे शब्द से आती है जो दूसरे व्यक्‍ति के दुःख के प्रति उदासी व्यक्‍त करने के लिए प्रयोग होता है। इस प्रकार पौलुस परमेश्‍वर की कोमल भावनाओं का वर्णन करता है, अपने उन वफ़ादार सेवकों के लिए जो क्लेश भुगत रहे हैं—ऐसी कोमल भावनाएँ जो परमेश्‍वर को उनके पक्ष में करुणा से कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं। आख़िर में, पौलुस ने यहोवा को ‘कोमल करुणाओं का पिता’ पुकारने के द्वारा इस चाहनेयोग्य गुण के स्रोत के तौर पर उसकी ओर देखा।

      ७. ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि यहोवा ‘सब प्रकार की सांत्वना का परमेश्‍वर’ है?

      ७ परमेश्‍वर की “कोमल करुणाओं” का परिणाम क्लेश भुगतने वाले एक व्यक्‍ति के लिए राहत होता है। इसलिए, पौलुस आगे यहोवा का वर्णन ‘सब प्रकार की सांत्वना के परमेश्‍वर’ के रूप में करता है। अतः, संगी विश्‍वासियों की कृपा से शायद हम सांत्वना का किसी तरह अनुभव करें, हम स्रोत के तौर पर यहोवा की ओर देख सकते हैं। ऐसी कोई वास्तविक, स्थायी सांत्वना नहीं है जो परमेश्‍वर से नहीं आती। इसके अलावा, वही है जिसने मनुष्य को अपने स्वरूप में सृजा, और इस प्रकार हमें सांत्वनादाता होने के लिए समर्थ किया। यह परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा है जो उसके सेवकों को उन लोगों के प्रति कोमल करुणा दिखाने के लिए प्रेरित करती है जो सांत्वना की ज़रूरत में हैं।

  • यहोवा से आनेवाली सांत्वना के सहभागी होना
    प्रहरीदुर्ग—1996 | नवंबर 1
    • ८. हालाँकि परमेश्‍वर हमारी परीक्षाओं का स्रोत नहीं है, क्लेश सहन करने का कौन-सा लाभदायक प्रभाव हम पर हो सकता है?

      ८ जबकि यहोवा परमेश्‍वर उसके वफ़ादार सेवकों पर आनेवाली विभिन्‍न परीक्षाओं की अनुमति देता है, वह कभी-भी ऐसी परीक्षाओं का स्रोत नहीं होता। (याकूब १:१३) लेकिन, क्लेश सहते वक़्त जो सांत्वना वह हमें प्रदान करता है वह हमें दूसरों की ज़रूरतों के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होने के लिए प्रशिक्षित कर सकती है। किस परिणाम के साथ? “ताकि हम उस शान्ति [सांत्वना] के कारण जो परमेश्‍वर हमें देता है, उन्हें भी शान्ति [सांत्वना] दे सकें, जो किसी प्रकार के क्लेश में हों।” (२ कुरिन्थियों १:४) इस प्रकार जब हम मसीह का अनुकरण करते हैं और ‘सब विलाप करनेवालों को सांत्वना’ देते हैं, तो यहोवा हमें प्रशिक्षित करता है कि संगी विश्‍वासियों के साथ और अपनी सेवकाई में हम जिनसे मिलते हैं उनके साथ अपनी सांत्वना के प्रभावकारी सहभागी हों।—यशायाह ६१:२; मत्ती ५:४.

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