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दुनिया से अलग कैसे रहें“खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखो”
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3. (क) यीशु ने अपने वक्त की राजनीति में हिस्सा क्यों नहीं लिया? (ख) यह क्यों कहा जा सकता है कि यीशु के अभिषिक्त चेले उसके राजदूत हैं? (फुटनोट भी देखिए।)
3 जब यीशु धरती पर था तो उसने दुनिया की राजनीति में हिस्सा नहीं लिया। इसके बजाय, उसका पूरा ध्यान परमेश्वर के राज यानी उस सरकार का प्रचार करने पर लगा हुआ था, जो भविष्य में स्वर्ग से राज करती और जिसका राजा वह खुद होता। (दानियेल 7:13, 14; लूका 4:43; 17:20, 21) इसलिए जब यीशु को रोमी राज्यपाल पुन्तियुस पीलातुस के सामने पेश किया गया, तो वह कह सका, “मेरा राज इस दुनिया का नहीं है।” (यूहन्ना 18:36) यीशु के वफादार चेले भी उसकी मिसाल पर चलते हैं। वे सिर्फ मसीह के और उसके राज के वफादार हैं और पूरी दुनिया को इस राज की खुशखबरी सुनाते हैं। (मत्ती 24:14) इसलिए प्रेषित पौलुस ने लिखा, “हम मसीह के बदले काम करनेवाले राजदूत हैं, . . . मसीह के बदले काम करनेवालों के नाते हम बिनती करते हैं, ‘परमेश्वर के साथ सुलह कर लो।’”a—2 कुरिंथियों 5:20.
4. किस तरह सभी सच्चे मसीहियों ने दिखाया है कि वे परमेश्वर के राज के वफादार हैं? (“शुरू के मसीही निष्पक्ष थे” नाम का बक्स देखिए।)
4 राजदूत जिस देश में सेवा करते हैं, वहाँ वे अपने देश के या अपने राजा के प्रतिनिधि होते हैं। इसलिए वे जिन देशों में सेवा करते हैं, वहाँ के मामलों में दखल नहीं देते और पूरी तरह निष्पक्ष रहते हैं। मगर वे जिस देश की सरकार के प्रतिनिधि हैं, उसकी पैरवी ज़रूर करते हैं। यही बात मसीह के अभिषिक्त चेलों के बारे में भी सच है। उनकी “नागरिकता स्वर्ग की है।” (फिलिप्पियों 3:20) इसी वजह से उन्होंने बड़े जोश से मसीह के राज का प्रचार किया है और उसकी लाखों ‘दूसरी भेड़ों’ को “परमेश्वर के साथ सुलह” करने में मदद दी है। (यूहन्ना 10:16; मत्ती 25:31-40) ‘दूसरी भेड़ों’ में शामिल लोग यीशु के अभिषिक्त भाइयों का साथ देते हैं और मानो मसीह के उप-राजदूत बनकर सेवा करते हैं। ये दोनों समूह एक होकर मसीह के राज की वकालत करते हैं और दुनिया के राजनैतिक मामलों में कभी किसी का पक्ष नहीं लेते।—यशायाह 2:2-4 पढ़िए।
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दुनिया से अलग कैसे रहें“खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखो”
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a ईसवी सन् 33 में पिन्तेकुस्त के त्योहार से मसीह, धरती पर मौजूद अपने अभिषिक्त चेलों की मंडली का राजा बना। (कुलुस्सियों 1:13) सन् 1914 में उसे ‘दुनिया के राज’ का राजा होने का अधिकार मिला। इसलिए अभिषिक्त मसीही आज भी इस दुनिया में मसीह के राज के राजदूत हैं।—प्रकाशितवाक्य 11:15.
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