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  • परमेश्‍वर के साथ चलते हुए ‘न्याय से काम कर’
    यहोवा के करीब आओ
    • 4. हम कैसे जानते हैं कि यहोवा हमसे अपने धर्मी स्तरों के मुताबिक जीने की उम्मीद करता है?

      4 यहोवा उम्मीद करता है कि हम सही-गलत के बारे में ठहराए उसके स्तरों के मुताबिक जीएँ। उसके स्तर न्यायसंगत और धर्मी हैं, इसलिए अगर हम उन स्तरों का पालन करें, तो दरअसल हम न्याय और धार्मिकता का पीछा कर रहे होंगे। यशायाह 1:17 (NHT) कहता है: “भलाई करना सीखो; न्याय की खोज करो।” परमेश्‍वर का वचन हमें “धार्मिकता की खोज” करने को उकसाता है। (सपन्याह 2:3, NHT) उसका वचन हमसे यह अनुरोध भी करता है: “नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्‍वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता [“सच्ची धार्मिकता,” नयी हिन्दी बाइबिल], और पवित्रता में सृजा गया है।” (इफिसियों 4:24) सच्ची धार्मिकता यानी सच्चे न्याय में हिंसा, अशुद्धता और अनैतिकता के लिए कोई जगह नहीं होती, क्योंकि इन कामों की वजह से जो पवित्र है वह भ्रष्ट हो जाता है।—भजन 11:5; इफिसियों 5:3-5.

  • परमेश्‍वर के साथ चलते हुए ‘न्याय से काम कर’
    यहोवा के करीब आओ
    • 6 असिद्ध इंसानों के लिए धार्मिकता का पीछा करना आसान नहीं है। ज़रूरी है कि हम पुराने मनुष्यत्व को उसके पापी कामों के साथ उतार फेंकें और नए मनुष्यत्व को धारण करें। बाइबल कहती है कि नया मनुष्यत्व, सही ज्ञान के ज़रिए “नया बनता जाता है।” (कुलुस्सियों 3:9, 10) “नया बनता जाता है,” ये शब्द दिखाते हैं कि नए मनुष्यत्व का पहनना ऐसा काम है जो लगातार जारी रहता है और जिसके लिए कड़ी मेहनत की ज़रूरत होती है। चाहे हम सही काम करने के लिए कितनी ही कोशिश क्यों न करें, ऐसे मौके आ ही जाते हैं जब पापी स्वभाव की वजह से हम अपने विचारों, शब्दों या कामों में चूक कर बैठते हैं।—रोमियों 7:14-20; याकूब 3:2.

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