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  • ‘एक दूसरे के अपराध क्षमा करते रहो’
    प्रहरीदुर्ग—1997 | दिसंबर 1
    • ५. इफिसियों ५:१ में दूसरों को क्षमा करने का कौन-सा महत्त्वपूर्ण कारण बताया गया है?

      ५ दूसरों को क्षमा करने का एक महत्त्वपूर्ण कारण इफिसियों ५:१ में दिया है: “इसलिये प्रिय, बालको की नाईं परमेश्‍वर के सदृश्‍य बनो।” किस तरह हमें ‘परमेश्‍वर के सदृश्‍य बनना’ चाहिए? शब्द “इसलिये” इस पद को पिछली आयत के साथ जोड़ता है, जो कहती है: “एक दूसरे पर कृपाल, और करुणामय हो, और जैसे परमेश्‍वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।” (तिरछे टाइप हमारे।) (इफिसियों ४:३२) जी हाँ, जब क्षमा करने की बात आती है तो हमें परमेश्‍वर के सदृश्‍य बनना चाहिए। जैसे एक छोटा लड़का बिलकुल अपने पिता की तरह बनना चाहता है वैसे ही उन बच्चों के नाते जिन्हें यहोवा बहुत अज़ीज़ समझता है, हमें क्षमा करनेवाले अपने स्वर्गीय पिता की तरह बनने की इच्छा होनी चाहिए। स्वर्ग से यह देखकर यहोवा का दिल कितना ख़ुश होता होगा कि उसके पार्थिव बच्चे एक दूसरे को क्षमा करने के द्वारा उसके सदृश्‍य बनने की कोशिश कर रहे हैं!—लूका ६:३५, ३६. मत्ती ५:४४-४८ से तुलना कीजिए।

      ६. यहोवा की क्षमा और हमारी क्षमा में किस प्रकार ज़मीन-आसमान का अंतर है?

      ६ सच है कि हम उस संपूर्ण अर्थ में क्षमा नहीं कर सकते जैसे यहोवा करता है। लेकिन यह और भी बड़ा कारण है कि क्यों हमें एक दूसरे को क्षमा करना चाहिए। ग़ौर कीजिए: यहोवा की क्षमा में और हमारी क्षमा में ज़मीन-आसमान का अंतर है। (यशायाह ५५:७-९) जब हम अपने ख़िलाफ़ पाप करनेवालों को क्षमा करते हैं तो अकसर यह इस बात को जानते हुए होता कि कभी-न-कभी हमें भी उनकी ज़रूरत पड़ेगी कि वे हमें क्षमा करके हम पर अनुग्रह करें। मनुष्यों में हमेशा पापी ही पापी को क्षमा करता है। लेकिन यहोवा के मामले में क्षमा हमेशा एकतरफ़ा ही होती है। वह हमें क्षमा करता है, लेकिन हमें कभी-भी उसे क्षमा करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। अगर यहोवा, जो कभी पाप नहीं करता, इस क़दर प्रेमपूर्वक और पूरी तरह से हमें क्षमा कर सकता है, तो क्या हम पापी मनुष्यों को एक दूसरे को क्षमा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए?—मत्ती ६:१२.

  • ‘एक दूसरे के अपराध क्षमा करते रहो’
    प्रहरीदुर्ग—1997 | दिसंबर 1
    • ११. जब दूसरे हमारे ख़िलाफ़ पाप करते हैं, तो उन्हें क्षमा करने में क्या हमारी मदद कर सकता है?

      ११ लेकिन तब क्या जब दूसरे हमारे ख़िलाफ़ ऐसा पाप करें जिससे हमें काफ़ी चोट पहुँचे? अगर पाप बहुत गंभीर नहीं, तो हमें शायद बाइबल की ‘एक दूसरे के अपराध क्षमा करने’ की सलाह लागू करने में ज़्यादा कठिनाई न हो। (इफिसियों ४:३२) क्षमा करने की ऐसी तत्परता पतरस के उत्प्रेरित शब्दों से मेल खाती है: “सब में श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो; क्योंकि प्रेम अनेक पापों को ढांप देता है।” (१ पतरस ४:८) यह बात मन में रखना कि हम भी पापी हैं दूसरों की ग़लतियों को माफ़ करने की गुंजाइश प्रदान करने में समर्थ करता है। जब हम इस तरह क्षमा करते हैं, तब हम नफ़रत को पालने के बजाय, निकाल देते हैं। इसके परिणामस्वरूप, अपराधी के साथ हमारा रिश्‍ता शायद हमेशा के लिए नहीं टूटे और हम कलीसिया की क़ीमती शांति बनाए रखने के लिए भी काम करते हैं। (रोमियों १४:१९) कुछ समय के बाद, दूसरे ने जो किया था वह शायद दिमाग़ से निकल जाए।

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