-
आज्ञा मानना—बचपन में ही सिखाया जाना ज़रूरी है?प्रहरीदुर्ग—2001 | अप्रैल 1
-
-
“तेरा भला हो”
आज्ञा मानने का एक और फायदा पौलुस बताता है, “अपनी माता और पिता का आदर कर (यह पहिली आज्ञा है, जिस के साथ प्रतिज्ञा भी है)। कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे।” (इफिसियों 6:2, 3; निर्गमन 20:12) माता-पिता की आज्ञा मानने से हमें कैसे फायदे हो सकते हैं?
सबसे पहले, क्या यह सच नहीं है कि माता-पिताओं ने बच्चों से ज़्यादा ज़िंदगी देखी है और वे ज़्यादा तजुर्बेकार होते हैं? हो सकता है कि उन्हें कंप्यूटरों या स्कूल में पढ़ाए जानेवाले विषयों के बारे में ज़्यादा कुछ समझ नहीं आता हो, मगर वे ज़िंदगी के बारे में और समस्याओं का सामना करने के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। इन्हीं बातों की कमी युवाओं में होती है। तजुर्बा न होने के कारण, वे सोच-समझकर फैसले करने के काबिल नहीं होते। इसी वजह से वे अकसर अपने दोस्तों के गलत प्रभाव में आकर जल्दबाज़ी में ऐसे फैसले कर बैठते हैं जिससे उन्हें नुकसान होता है। बाइबल में सच ही तो कहा है: “लड़के के मन में मूढ़ता बन्धी रहती है।” इसका हल क्या है? “छड़ी की ताड़ना के द्वारा वह उस से दूर की जाती है।”—नीतिवचन 22:15.
आज्ञा मानने से फायदे सिर्फ परिवार को ही नहीं बल्कि समाज को भी होता है। समाज को अगर अच्छी तरह से चलना और तरक्की करना है, तो सबको एक-दूसरे को सहयोग देना ज़रूरी है, और इसमें कुछ हद तक आज्ञाकारिता भी शामिल है। मसलन, विवाह की बात लीजिए। जब विवाह-साथी एक-दूसरे की बातों को मानने के लिए तैयार होते हैं तो आपस में ताल-मेल, शांति और खुशी बनी रहती है। लेकिन अगर वे एक-दूसरे से हद-से-ज़्यादा उम्मीद करें और एक-दूसरे के हक और भावनाओं की भी कदर बिलकुल न करें, तो विवाह का बंधन जल्द ही टूट जाएगा। उसी तरह काम की जगह पर, कर्मचारियों को अपने मालिक के अधीन रहना चाहिए, तभी बिज़नॆस तरक्की कर पाएगा। और जहाँ तक सरकारी नियमों को मानने की बात है, ऐसे मामले में आज्ञा मानने से न केवल व्यक्ति सज़ा पाने से बचता है, बल्कि उसे कुछ हद तक सुरक्षा भी मिलती है।—रोमियों 13:1-7; इफिसियों 5:21-25; 6:5-8.
अधिकारियों की बातों को टालनेवाले युवा अकसर समाज की नज़रों में गिर जाते हैं। दूसरी तरफ, अगर एक व्यक्ति को बचपन में ही आज्ञा मानने की शिक्षा मिली हो तो उसे ज़िंदगी भर फायदे हो सकते हैं। इसलिए बचपन में आज्ञा मानना सीखना वाकई कितना फायदेमंद है!
-
-
आज्ञा मानना—बचपन में ही सिखाया जाना ज़रूरी है?प्रहरीदुर्ग—2001 | अप्रैल 1
-
-
याद कीजिए प्रेरित पौलुस ने कहा था कि माता-पिता की आज्ञा मानने के निर्देश के साथ दोहरी प्रतिज्ञा जुड़ी हुई है, यानी “तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे।” (तिरछे टाइप हमारे।) इसी बात की पुष्टि हमें नीतिवचन 3:1, 2 में मिलती है: “हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना; क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा।” जो लोग आज्ञा मानते हैं, उन्हें बहुत बड़ा प्रतिफल मिलेगा। एक है आज यहोवा के साथ गहरा रिश्ता कायम करना और दूसरा, शांतिपूर्ण नयी दुनिया में हमेशा-हमेशा की ज़िंदगी पाना।—प्रकाशितवाक्य 21:3, 4.
-