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  • कैसे आध्यात्मिक कमज़ोरी को पहचानें और दूर करें
    प्रहरीदुर्ग—1999 | अप्रैल 15
    • हम क्योंकि आध्यात्मिक युद्ध में शामिल हैं—जिसमें मसीहियों को अपने दिलो-दिमाग पर नियंत्रण रखने की ज़रूरत है—इसलिए हमें अपनी ज्ञानेंद्रियों की जी-जान से रक्षा करने की कोशिश करनी चाहिए। याद रखिए, हमारे आध्यात्मिक हथियारों में हैं “धार्मिकता की झिलम,” यह हमारे दिल की रक्षा करती है, और “उद्धार का टोप,” यह हमारे दिमाग की रक्षा करता है। अब हमारी जीत या हार इस पर निर्भर करेगी कि हम कितनी कुशलतापूर्वक इन चीज़ों से लाभ उठाना सीखते हैं।—इफिसियों ६:१४-१७; नीतिवचन ४:२३; रोमियों १२:२.

  • कैसे आध्यात्मिक कमज़ोरी को पहचानें और दूर करें
    प्रहरीदुर्ग—1999 | अप्रैल 15
    • “उद्धार का टोप” पहनने में यह बात शामिल है कि हम उन शानदार आशिषों को, जो आगे चलकर हमें मिलनेवाली हैं, अपने दिमाग में ताज़ा बनाए रखें। और इस संसार की चमक-दमक से खुद को विचलित न होने दें। (इब्रानियों १२:२, ३; १ यूहन्‍ना २:१६) ऐसे नज़रिए से यह मदद मिलेगी कि हम भौतिक फायदे या व्यक्‍तिगत लाभ को आध्यात्मिक बातों से आगे नहीं रखेंगे। (मत्ती ६:३३) सो हमें निश्‍चित करना है कि यह हथियार हमने ठीक से पहना है या नहीं। इसलिए ईमानदारी से हमें खुद से पूछना चाहिए: मैं अपने जीवन में क्या पाने की कोशिश कर रहा हूँ? क्या मेरे जीवन में खास आध्यात्मिक लक्ष्य हैं? उन तक पहुँचने के लिए मैं क्या कर रहा हूँ? चाहे हम शेष अभिषिक्‍त मसीही हों या असंख्य “बड़ी भीड़” का भाग, हमें पौलुस की नकल करनी चाहिए, जिसने कहा: “मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं।”—प्रकाशितवाक्य ७:९; फिलिप्पियों ३:१३, १४.

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